Ranchi-राज्य की कैबिनेट सचिव बंदना डाडेल के द्वारा ईडी से सवाल खड़ा करना भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल को काफी नागवार गुजरा है, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस गुस्से का इजहार करते हुए बाबूलाल ने लिखा है कि ‘कैबिनेट सचिव के पत्र से स्पष्ट हो गया है कि, हेमंत सरकार आधिकारिक रूप से भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है और मनीलॉन्ड्रिंग जांच में बाधा डालने का प्रयास कर रही है. हेमंत सोरेन जी, सिर्फ भ्रष्ट अधिकारियों को ईडी से बचाने का ही नहीं, बल्कि झारखंड में हुई महालूट की जिम्मेवारी लेने का आधिकारिक पत्र जारी कराएं. आगे उन्होंने लिखा कि झामुमो कार्यकर्ता की तरह व्यवहार कर रहे, न्यायिक प्रणाली में बाधा डाल रहे कुछ अधिकारी यह समझ लें कि, यदि एक बार हत्थे चढ़ गए तो फिर जमानत भी मुश्किल हो जाएगी.

खाली खोखे की बरामदगी के पास भेजा गया था समन

ध्यान रहे कि  3 जनवरी को ईडी की ओर से सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू और साहिबगंज डीसी के ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी, इस छापेमारी में ईडी ने साहिबगंज डीसी के कार्यालय से 7.20 लाख रुपया नगद और 9 एमएम बोर के 19 कारतूस, 380 एमएम के 2 कारतूस और 45 पिस्टल के 5 खाली खोखे की बरामदगी की थी, जबकि अभिषेक प्रसाद पिंटू के आवास से कुछ डिजिटल दस्तावेज बरामद किये जाने का दावा किया गया था. जिसके बाद ईडी ने डीसी रामनिवास यादव को 11 जनवरी तो अभिषेक प्रसाद पिंटू को 16 फरवरी को हाजिरी लगाने का आदेश दिया था.

ईडी में हाजिरी लगाने के पहले सरकार को सूचित करने का जारी किया गया है आदेश

इस बीच राज्य सरकार ने कैबिनट की एक बैठक में यह प्रस्ताव पास कर दिया कि अब किसी भी बाहरी एजेंसी के सामने हाजिरी लगाने के पहले अधिकारियों को राज्य के मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को सूचित करना होगा, और उसके बाद ही एजेंसी के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर होंगे और सरकारी दस्तावेजों को साक्षा करेंगे. इस फैसले के बाद राज्य की कैबिनेट सचिव बंदना डाडेल ने ईडी को एक पत्र लिख कर इस बात का जवाब मांगा कि आखिर डीसी साहिबगंज और मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार को समन क्यों भेजा गया. उसका औचित्य क्या है, वंदना डाडेल के इसी पत्र पर बाबूलाल आगबबूला हैं, और राज्य सरकार पर भ्रष्ट अधिकारियों का संरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं.

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