Patna-कर्पूरी जयंती के अवसर पर विशाल कार्यक्रम का आयोजन कर इंडिया गठबंधन को सियासी तौर पर मजबूती प्रदान करने के दावे के बीच सीएम नीतीश अचानक से राज्यपाल भवन पहुंच कर बिहार की सियासत में एक भूचाल ला दिया है, दावा किया जाता है कि राज्यपाल और सीएम नीतीश के बीच बंद कमरे में करीबन 50 मिनट की बातचीत हुई है, इस खबर को सामने आते ही बिहार की सियासी गलियारों में एक बार फिर पाला बदल की चर्चा तेज हो चुकी है. बड़ी बात यह है कि राज्यपाल से इस मुलाकात के बाद सीएम नीतीश ने मीडिया कर्मियों से भी दूरी बना ली है. इस पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह दावा कर और भी सनसनी पैदा कर दी है कि ‘बंगला में कहतें हैं, “खेला होबे” मगही में कहतें हैं, “खेला होकतो” भोजपुरी में कहतें हैं, “खेला होखी” बाकी तो आप खुद ही समझदार हैं. हालांकि इस सियासी सरगर्मी के बीच राजद की ओर से ऑल इज वेल का दावा किया गया है.

सुभाष चन्द्र जयंती के अवसर पर तेजस्वी और नीतीश साथ साथ थें

यहां बता दें कि आज सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और सीएम नीतीश एक साथ ही थें, लेकिन उस समय भी दोनों ने मीडिया से दूरी बना ली थी. मीडिया कर्मियों को सीएम नीतीश और तेजस्वी के पास जाने नहीं दिया गया था, और वहां से निकलते ही सीएम नीतीश सीधे राज्यभवन पहुंचे, और  फिर इस मुलाकात को सियासी चश्में से देखने की होड़ लग गयी, उधर राजद इसे औपचारिक मुलाकात बता रही है, उसका दावा है कि भाजपा को दिन रात सीएम नीतीश का पलटीमारने का स्वपन देखता रहता है, लेकिन उसकी यह हसरत पूरी होने वाली नहीं है.

कल ही पटना में जदयू का कर्पूरी जयंती कार्यक्रम है

यहां यह भी बता दें कि कल ही जदयू की ओर कर्पूरी जयंती के अवसर पर पटना में विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, दावा किया जाता है कि इस  आयोजन के जरिये जदयू अति पिछड़ी जातियों के बीच अपनी सियासी पकड़ को और भी मजबूती प्रदान करेगी, ताकि 2024 के महासमर में भाजपा को बिहार की सरजमीन से पैदल किया जा सके, लेकिन इस बीच अचानक से सीएम नीतीश का राज्यपाल से मुलाकात करना बिहार के सियासी गलियारों में एक बेचैनी जरुर पैदा कर रहा है. हालांकि नीतीश कुमार को लेकर इस तरह की खबरें हर बार चलायी जाती है, और पाला बदल की इन तमाम खबरों के बीच नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी सूरत में इंडिया गठबंधन को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं.

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