Ranchi- झारखंड में सियासी पारा हाई है, अब यह लगभग साफ हो चुका है कि ईडी किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी की घोषणा कर सकती है, इस हालत में यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर उस हालत में राज्य का मुखिया कौन होगा, किसके हाथ में राज्य की बागडोर होगी. और यह सवाल हर झारखंडियों के मन को बेचैन कर रहा है. इस बीच जो खबर निकल कर सामने आ रही है कि भले ही आज सीएम हेमंत की गिरफ्तारी हो जाय, लेकिन उनका इस्तीफा आज नहीं होने जा रहा है, वह अपने इस्तीफे की घोषणा के लिए राज्य  में नयी सरकार गठन का इंतजार करेंगे, और जब तक नयी सरकार का गठन हो नहीं जाता है, तब तक वह सूबे के मुखिया के रुप में अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते रहेंगे. क्योंकि मनीष सिसोदिया मामले में यह स्पष्ट हो गया कि एक मंत्री  या मुख्य मंत्री को गिरफ्तारी की हालत में इस्तीफा देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, वह जेल से भी सभी सरकारी फाइलों का निष्पादन कर सकते हैं.

सरकार गठन की औपचारिकता पूरी होने के बाद करेंगे इस्तीफे की घोषणा

और जैसी ही सरकार का गठन होता है, वह औपचारिक रुप से अपने इस्तीफे का एलान कर सकते हैं. इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि राज्य की अगली मुखिया कौन होगी, तो कल सत्ता पक्ष के विधायकों की बैठक में दो नाम पर हस्ताक्षर करवाये गये हैं, पहला नाम तो कल्पना सोरेन का है, दूसरा नाम वर्तमान सरकार में कल्याण मंत्री का दायित्व संभाल रहे चंपई सोरेन का है, दरअसल कल्पना सोरेन के नाम विधायकों के बीच सहमति तो जरुर है, लेकिन सोहराई भवन मामले में उनका नाम उछलता रहा है, इस हालत में उनके नाम पर कानूनी पेंच भी फंस सकता है, और इसी पैंतरे की काट में चंपई सोरेन के नाम को भी आगे किया जा रहा है. हालांकि इस बीच कुछ लोगों का दावा है कि सोरेन परिवार अपने परिवार से बाहर जाना पसंद नहीं करेगा, लेकिन चंपई सोरेन को दिशोम गुरु शिबू सोरेन का बेहद करीबी और भरोसेमंद माना जाता है, इसके साथ ही कोल्हान में उनकी जबरदस्त पकड़ है, वह कोल्हान में टाईगर के नाम से भी जाने जाते हैं.

राजभवन की ओर से समय मिलने की सूचना

इस बीच खबर यह है कि राजभवन की ओर से सीएम हेमंत को समय दिया जा चुका है, इसके बाद साफ कि किसी भी वक्त सीएम हेमंत अपने विधायकों के साथ राजभवन जा सकते हैं, जहां उनकी मौजदगी में सत्ता पक्ष के विधायकों के द्वारा अपना शक्ति प्रर्दशन करते हुए नयी सरकार का दावा पेश किया जायेगा, जैसे ही राज्यपाल की ओर से शपथ ग्रहण की तिथि तय की जाती है, और उसकी औपचारिका पूरी कर ली जाती है, सीएम हेमंत अपना इस्तीफा सौंप देंगे.

कालकोठरी से होगा भाजपा के खिलाफ सिंहनाद

यहां बता दें कि जब तक सीएम हेमंत को इस मामले में जमानत नहीं मिल जाती, उन्हे कालकोठरी में अपना समय गुजारना होगा, मुश्किल यह है कि सामने 2024 का महासंग्राम है, और शायद उनकी गिरफ्तारी के पीछे सियासत का खेल भी यही है, वह खुद भी इस बात का दावा करते रहे हैं कि भाजपा उन्हे 2024 के पहले मैदान से बाहर करना चाहती है, ताकि वह झारखंड में अपने मनसूबे को पूरा कर सकें, लेकिन यह हेमंत है, जेल जाने से नहीं डरता, इस हालत में साफ है कि सीएम हेमंत को अपनी गिरफ्तारी की आशंका थी, और वह यह मान कर चल रहे थें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले उन्हे मैदान से हटाने की साजिश रची जा सकती है, अब देखना यह होगा कि जब झामुमो का सबसे मजबूत चेहरा ही कालकोठरी में बंद होगा, तब 2024 की लड़ाई को किस दम खम के साथ लड़ा जाता है, हालांकि उनके समर्थकों को दावा है कि सीएम हेमंत जेल में रहकर भी भाजपा पर भारी पड़ेगें, उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके पक्ष  में जन सहानुभूति का वह उफान सामने आयेगा कि उसमें  भाजपा की सारी हसरतें डूब जायेगी.

एक दावा यह भी है कि भले ही सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद राज्य कमान कल्पना सोरेन के हाथ में नहीं आये, लेकिन वह पूरी तरह से सियासी मैदान में होगी. भाजपा के खिलाफ चुनावी अभियान में अब वह झामुमो का प्रमुख चेहरा होगी. और यदि वाकई ऐसा होता है, कल्पना सोरेन सियासी मैदान में उतर कर भाजपा को ललकारती है, तो आदिवासी मूलवासियों के साथ ही राज्य की आधी आबादी के बीच इसका सीधा संकते जायेगा, और सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद उपजी सहानुभूति की लहर को वह कैश करने की स्थिति में होंगी

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