Ranchi-झारखंड सरकार के द्वारा 3712 उर्दू शिक्षकों के पद पर कैंची चलाने के बाद पूरे झारखंड से अल्पसंख्यक समुदाय के बीच से विरोध के स्वर सुनाई पड़ने लगे है. राजधानी रांची से लेकर गुमला और दूसरे जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन का दौर शुरु हो चुका है. अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के द्वारा इसे उनकी जुबान और रोजगार छिनने की साजिश बतायी जा रहा है, और झारखंड सरकार से तत्काल इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है.

विद्यालय शिक्षक प्रन्नोति नियमावली 2024 के प्रारुप पर बवाल

यहां ध्यान रहे कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के द्वारा झारखंड राजकीयकृत प्रारम्भिक विद्यालय शिक्षक प्रन्नोति नियमावली 2024 में उर्दू सहायक शिक्षक पद को मरणशील घोषित करार दिया गया है, राज्य सरकार के इस फैसले के बाद अब इस पद पर बहाली नहीं होगी. यहां बता दें कि वर्ष 1999 में बिहार सरकार के द्वारा 4,401 उर्दू शिक्षकों का पद सृजित किया गया था. लेकिन अब सरकार अपने इस फैसले से इसमें से 3712 पदों को सरेंडर करने की तैयारी में है.

14 जनवरी को राजधानी रांची और जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन

लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी सामने आयी, अल्पसंख्यक समुदाय के बीच नाराजगी तेज होने लगी.मुस्लिम समाजिक संगठनों, उर्दू तंजीम और दूसरे समाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा इसके विरोद में 14 जनवरी को राजधानी रांची सहित हर जिला मुख्यालय पर इस नियमावली के प्रारुप को जलाकर विरोध दर्ज करने का एलान किया गया है. इस मामले में झारखंड छात्र संघ और आमया संगठन के अध्यक्ष एस अली ने भी राज्य सरकार के तुरंत इस फैसले को वापस तत्काल इन पदों पर बहाली की प्रक्रिया तेज करने की मांग की है. हालांकि इस मामले में अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के इस फैसले पर मुस्लिम समाज के बीच बेचैनी बढ़ती नजर आ रही है.

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