Patna-जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफे की खबर का खंडन करते हुए जदयू प्रवक्ता सागर ने दावा किया है कि कई मीडिया चैनलों में बगैर तथ्यों की जांच किये इस्तीफे की खबर चलाकर भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है. यह  पूरी तरह से प्लांटेट खबर है, इसका सच्चाई से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है. 29 दिसम्बर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक है, सारे फैसले उसी कार्यकारणी की बैठक में लिये जायेंगे. फिलहार राष्ट्रीय अध्यक्ष का बदलाव का कोई एजेंडा नहीं है, अभी हमारी पूरी ताकत इंडिया गठबंधन को मजबूती प्रदान करने में लगी हुई है, जिसके कि किसी भी कीमत पर 2024 के महामुकाबले में भाजपा को सत्ता से बाहर किया जा सके.

कई मीडिया चैनलों पर चल रही है इस्तीफे की खबर

यहां ध्यान रहे कि कई मीडिया चैनलों में ललन सिंह के इस्तीफे की खबर चलायी जा रही थी, जिसके बाद सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज हो गयी थी कि ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेवारी से मुक्त होकर अब अपना पूरा फोकस अपने संसदीय सीट मुंगेर पर केन्द्रित करना चाहते हैं, चूंकि भाजपा मुंगेर संसदीय सीट से ललन सिंह के खिलाफ किसी मजबूत सियासी पहलवान की खोज में है, हालांकि अब तक भाजपा को उस सियासी पहलवान की खोज पूरी नहीं हुई है, लेकिन भाजपा की इस चाल को समझ ललन सिंह ने समय रहते मुंगेर में अपनी ताकत झोंकने का फैसला कर लिया.

रामनाथ ठाकुर की ताजपोशी कर जदयू अति पिछड़ी जातियों पर साध सकती है निशाना

खबर यह भी थी कि ललन सिंह को अंतिम समय तक सीएम नीतीश के द्वारा मनाने की कोशिश की गयी, लेकिन ललन सिंह इस्तीफे से पीछे हटने को तैयार नहीं थें, हालांकि एक खबर यह भी थी कि सीएम नीतीश एक बार फिर से उपेन्द्र कुशवाहा का पार्टी में इंट्री के पक्ष में हैं, और इस बाबत उनकी उपेन्द्र कुशवाहा से बात भी हुई है, माना जाता है कि उपेन्द्र कुशवाहा को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप कर 2024 के पहले नीतीश लव-कुश की सियासत को मजबूती प्रदान कर सकते हैं.

दूसरी चर्चा यह भी थी कि पूर्व सीएम कर्पुरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर पर भी दांव खेला जा सकता है, ताकि अति पिछड़ी जातियों के बीच एक सियासी संदेश दिया जाय, लेकिन सबसे अधिक चर्चा खुद सीएम नीतीश के द्वारा इस कुर्सी को संभालने की थी. ताकि चुनाव के बाद एक बार फिर से ललन सिंह की ताजपोशी की जा सके.

राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ ललन सिंह की दोस्ती से नाराजगी की खबर

यहां यह भी ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों से ललन सिंह का राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ नजदीकियों की खबर चलाई जा रही थी, और दावा किया जा रहा था कि लालू यादव के साथ ललन सिंह के इस बेपनाह मोहब्बत से नीतीश कुमार अपने आप को असहज महसूस कर रहे थें, लेकिन जिस प्रकार नीतीश कुमार के द्वारा अंतिम समय तक ललन सिंह को मनाने की कोशिश की गयी, उसके बाद इन दावों में कोई दम नजर नहीं आता, अब देखना होगा कि 29 दिसम्बर को राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में यह ताज किसके सिर पर जाता है. या इन तमाम कयासों को खारिज करते हुए जदयू ललन सिंह को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये रखने का फैसला करता है.

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