Patna-मकर संक्रांति के बाद पलटी मारने की तमाम खबरों को धत्ता बताते हुए आज सीएम नीतीश कुमार सीएम आवास से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, विजय चौधरी के साथ पैदल ही राबड़ी आवास पहुंचे. और पूरे उत्साह के साथ लालू यादव के साथ चूड़ा दही का आनन्द लिया. नीतीश कुमार के आगवन की खबर मिलते ही खुद तेजस्वी यादव गेट पर उन्हे रिसीव करने पहुंचे और बाद में उन्हे गेट तक साथ चलकर विदाई किया.
सीट शेयरिंग पर तेजस्वी का सधा जवाब
इस बीच जब मीडिया कर्मियों ने तेजस्वी यादव से सीट शेयरिंग को लेकर सवाल किया तो तंज भरे अंदाज में तेजस्वी ने कहा कि आप अपनी सुर्खियां बनाते रहियें, बहुत संभव है कि हमारे बीच सीट शेयरिंग पर सहमति बन गयी हो, क्या हर चीज का सार्वजनिक करना जरुरी है. कुछ रणनीति भी होती है, किसी को भी उसकी इच्छा के अनुरुप सीट नहीं मिलती, लेकिन हर घटक दल को उसकी जमीनी ताकत की जानकारी होती है, बात जब आमने सामने बैठकर होती है, तो उसी जमीनी हकीकत के आधार पर फैसला हो जाता है, सहमति बन जाती है, लेकिन मीडिया में सब कुछ चलता रहता है, वह इतनी सीट का दावा कर रहा है, वह इतनी से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं है, इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है, आदि सुर्खियां बनती रहती है, आप इन चीजों के लिए स्वतंत्र है, आगे भी इसको सुर्खियां बनाते रहें.
दही चूड़ा का आनन्द ले नीतीश ने पलटी मारने के कयासों पर लगाया विराम
यहां ध्यान रहे कि कई मीडिया संस्थानों के द्वारा लगातार यह दावा किया जा रहा था कि इंडिया गठबंधन के संयोजक नहीं बनाये जाने के कारण सीएम नीतीश कुमार नाराज चल रहे हैं और खरमास के बाद उनकी राह इंडिया गठंबधन से जुदा हो सकता है, इस बीच इंडिया गठबंधन की ऑनलाइन बैठक में सीएम नीतीश को संयोजक पद का प्रस्ताव भी दिया गया, लेकिन सीएम नीतीश ने उसे अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद यह दावा किया जाने लगा कि सर्वसम्मत रुप से संयोजक नहीं बनाये जाने के कारण नीतीश नाराज है, और किसी भी वक्त पलटती मार सकते हैं, आज नीतीश कुमार ने खुद ही लालू राबड़ी आवाज में चूड़ा दही का आनन्द लेकर इन तमाम कयासों पर विराम लगा दिया. इस बीच खबर यह भी है कि इंडिया गठबंधन में सीएम नीतीश के लिए संयोजक पद के रास्ते अभी बंद नहीं हुए है, अभी भी यह प्रस्ताव सीएम नीतीश के सामने पड़ा हुआ है, हालांकि वह इस ऑफर को कब स्वीकार करते हैं, यह उन पर निर्भर करता है, माना जाता है कि सीएम नीतीश इस प्रस्ताव को औपचारिक रुप से स्वीकार करने के पहले कई दूसरे घटक के नेताओं की सहमति भी लेना चाहते हैं, ताकि किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं रहे.
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