बिहार(BIHAR)-मानसून के दिनों में बिहार में बाढ़ आना मानो जैसे आम बात हो गयी हो. हर साल जब मानसून का महीना आता हैं और बारिश अपनी तेज़ लहर पकड़ लेती हैं तब बिहार की हालत बड़ी निंदनीय हो जाती है. ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी बिहार और उसकी राजधानी पटना की हालत बिलकुल पहले जैसे ही हैं. इतने वर्षों के अनुभव के बाद भी न तो बाढ़ के रोक-थाम की व्यवस्था मानसून आने से पहले की जाती हैं और ना ही मानसून जाने के बाद कोई ठोस कदम उठाया जाता हैं.
लोग हैं पलायन करने पर मजबूर
लोगों की हालत इतनी ख़राब हो जाती हैं कि वे अपने बसे-बसाये घरों को छोड़ पलायन के लिए मजबूर हो जाते हैं. राजधानी पटना की हालत की बात करें, तो इस वर्ष हाथीदह में गंगा नदी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं. बता दें कि बक्सर में नौ सेमी से बढ़कर गंगा लाल निशान से 83 सेमी ऊपर है. वही दीघा घाट में गंगा 24 घंटे में नौ सेमी बढ़कर लाल निशान से 116 सेमी ऊपर चली गई है. गांधी घाट में 13 सेमी बढ़कर यह नदी लाल निशान से 163 सेमी ऊपर है और मुंगेर में 42, भागलपुर में 73 और कहलगांव में खतरे के निशान से 109 सेमी ऊपर है. साथ ही फरक्का में गंगा 13 सेमी बढ़ी और वहां लाल निशान से 113 सेमी ऊपर है.
मुख्यमंत्री बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों का लिया जायजा
इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरा और सारण जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के साथ साथ सोन, गंडक और गंगा के बढ़ते जलस्तर का जायजा लिया. इसके साथ ही उन्होंने सभी अलर्ट जारी जिलों के डीएम से संपर्क करते हुए प्रबंधन विभाग और जलसंसाधन विभाग के साथ मिल कर समस्या का समाधान जल्द से जल्द निकालने का निर्देश दिया है.
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