धनबाद (DHANBAD) : बिहार के भाजपा नेताओं को कम से कम 2025 के विधानसभा चुनाव में दिवंगत सुशील कुमार मोदी की याद जरूर आ रही होगी.यह अलग बात है कि आज के भाजपा नेताओं के दबाव में ही उन्हें बिहार की राजनीति से अलग कर राज्य सभा भेज दिया गया था. विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा को बाहर राज्यों के फोर्स को मजबूती से लगाना होगा.
वैसे ,बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड के नेताओं की भी बड़ी भूमिका हो सकती है. भाजपा ने तो झारखंड के नेताओं के लिए जिम्मेवारी तय कर दी है और कांग्रेस भी इस दिशा में काम कर रही है. बिहार का चुनाव एनडीए के लिए भी महत्वपूर्ण है, तो महागठबंधन के लिए भी कम संघर्षपूर्ण नहीं है. बीच में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी एक कोण बना रहे हैं और एनडीए नेताओं को तो घेर ही रहे हैं, महागठबंधन के नेताओं पर भी मीठी छुरी चला रहे हैं .
जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने झारखंड के कई प्रमुख नेताओं को संगठन की जिम्मेवारी दी है. झारखंड प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सदस्य प्रदीप वर्मा को जोनल हेड बनाया गया है. वह भागलपुर, कोसी और पूर्णिया की जिम्मेदारी संभालेंगे. प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र राय को बांका, chatra के सांसद कालीचरण सिंह को अररिया, हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल को मधेपुरा, पूर्व विधायक अनंत ओझा को भागलपुर और पूर्व सांसद सुनील सिंह को कटिहार विधानसभा क्षेत्र का दायित्व मिला है.
सूत्र बताते हैं कि इन सभी नेताओं को 3 अक्टूबर तक अपने-अपने निर्धारित क्षेत्र में पहुंचने का निर्देश है .झारखंड कांग्रेस भी ऐसा ही कुछ तैयारी कर रही है. यह अलग बात है कि महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल है.सीट चाहे जितनी भी मिले, झारखंड मुक्ति मोर्चा बिहार में इस बार चुनाव जरूर लड़ेगा. हालांकि फिलहाल बिहार में राहुल गांधी के वोट अधिकार यात्रा के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से कोई बयान नहीं आ रहे हैं .उस कार्यक्रम के अंतिम दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसके पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड से सटे बिहार के 12 विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने का दावा कर रहा था. वैसे भी महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचना चल रही है.
बिहार की राजनीति कुछ बदली बदली दिख रही है .एनडीए के जो बिहार में कद्दावर नेता है, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इस वजह से आगे क्या होगा, कहना थोड़ा मुश्किल है .वैसे जिनपर आरोप लग रहे है,वह डायरेक्ट चुनाव लड़ने वाले नहीं है.इधर, भाजपा ने पावर स्टार पवन सिंह को फिर से पार्टी में शामिल कर शाहाबाद इलाके में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश की है. इधर, प्रशांत किशोर एनडीए के नेताओं को तो निशाने पर लिए हुए हैं ही, राजद को भी संकट में डालने की कोशिश कर रहे हैं. वह अल्पसंख्यक नेताओं से अपील कर रहे हैं कि वह अपनी संख्या के हिसाब से राजद से टिकट की मांग करें और राजद ऐसा नहीं करता है, तो बड़े नेता पार्टी छोड़ने की बात कहें.
राजद उनकी बात जरूर मानेगा. वैसे भी राजद की एम वाई समीकरण की खूब चर्चा होती आई है. अगर राजद में एम वाई समीकरण टूटा तो परेशानी हो सकती है. यह अलग बात है कि एनडीए के नेताओं पर आरोप के बाद केंद्रीय नेतृत्व भी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. इस बीच नेताओं का दौरा जारी हो गया है .भाजपा को तो निश्चित रूप से सुशील मोदी की याद बिहार में मजबूत पकड़ बनाने के लिए याद आती होगी. जो काम सुशील मोदी करते थे आज उसी का इस्तेमाल प्रशांत किशोर भाजपा नेताओं के खिलाफ कर रहे हैं और भाजपा नेता लगभग बैक फुट पर है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो

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