टीएनपी डेस्क(TNP DESK): आजकल के जमाने में शादी के बाद एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर, आम बात हो चुका है.ऐसे में बहुत से लोगों के जीवन में ऐसी स्थिति आती है कि लोगों को समझ में नहीं आता है कि वह करें तो क्या करें. दरअसल कभी-कभी ऐसा होता है कि शादीशुदा महिला का किसी अन्य मर्द के साथ अफेयर चल रहा है और वह प्रेग्नेंट हो जाती है ऐसे में सवाल उठता है कि उस बच्चे का पिता कौन होगा और उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, उसका भरण पोषण कौन करेगा.चलिए इसका जवाब हम आपको देते है.

पढ़ें क्या कहता है हमारा भारतीय कानून

दरअसल जब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में पति के रहते हुए किसी महिला का दूसरे मर्द से बच्चा होता है तो लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि बच्चे का पिता वह पराया मर्द होगा.लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. भारतीय कानून के अनुसार अगर कोई महिला वैद्य शादी में है और उसका किसी अन्य मर्द से अफेयर में बच्चा होता है तो उसका पिता भी उसका पति ही माना जाता है.और उसके भरण पोषण की जिम्मेदारी महिला के पति को ही लेनी पड़ेगी.

पढ़ें कब कोर्ट देता है डीएनए टेस्ट का आदेश

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 112 के तहत, यदि कोई बच्चा विवाह के दौरान या विवाह के छह महीने बाद पैदा होता है, तो उसे पति का वैध संतान माना जाएगा, जब तक पति यह साबित न कर दे कि वह “संभोग की संभावना” के समय पत्नी के साथ नहीं था.कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि DNA टेस्ट का आदेश तभी दिया जाएगा जब प्रारंभिक साक्ष्य से यह संदेह मजबूत हो कि पति जैविक पिता नहीं है.

इन दो केस में कोर्ट ने सुनाया है ये फैसला

आपको बता दें कि साल 2023 उत्तर प्रदेश के एक केस में कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि DNA रिपोर्ट से यह साबित हुआ कि बच्चा विवाहेतर संबंध का है, फिर भी अदालत ने बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी पति पर डाली, क्योंकि बच्चा शादी के दौरान पैदा हुआ था.वही साल 2021 दिल्ली के एक मामले हाईकोर्ट ने कहा कि पति की सहमति या चुप्पी भी कानूनी जिम्मेदारी तय करने में मायने रखती है.वही महिला अधिकार संगठनों का कहना है कि यह प्रावधान बच्चों को ‘अवैध’ ठहराए जाने से बचाता है और उनके अधिकार सुरक्षित करता है.