Bihar: बिहार में अवैध बालू खनन के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई ने सरकार को नींद से जगा दिया है. धनबाद में रहकर बिहार में बालू का खेल खेलने वाले कई बालू माफिया फिलहाल पटना के बेउर जेल में है. अभी भी कई की गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. बिहार की सड़कों पर अगर हाल, फिलहाल कोई गया होगा तो उन्हें नंगी आंखों से बालू का खेल निश्चित रूप से दिखा होगा. झारखंड में कोयला के रूप में "हीरा" है तो बिहार में बालू के रूप में "सोना" खनन माफिया डंके की चोट पर निकाल रहे है. बालू के खेल में कई लोग देखते-देखते "धन पशु" बन गए. सबने किसी न किसी ढंग से, किसी न किसी पार्टी से जुड़कर अपनी कद भी बढ़ा ली है. लेकिन जब 250 करोड़ बालू घोटाले की जांच ईडी ने शुरू की तो कई खुलासे होते गए. बिहार से लेकर झारखंड के धनबाद के कई लोगों की गिरफ्तारियां हुई तब जाकर बिहार सरकार की नींद टूटी है.
बंगाल फेरी अधिनियम "1885 को समाप्त करने की तैयारी
वर्तमान में जारी बंगाल फेरी अधिनियम "1885 को समाप्त करने का निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है. यह भी बताया गया है कि बिहार में नौका नियमावली बनेगी. इसका उद्देश्य बालू के अवैध खनन और कारोबार पर रोक लगाना होगा. नदियों में लगातार हो रहे हादसे को भी रोकना मकसद हो सकता है. सरकार का राजस्व बढ़े , इसका भी प्रयास हो सकता है. नियम के प्रारूप के अनुसार नाव मालिकों को नदियों में नाव चलाने से पहले पंचायती राज विभाग से निबंधन कराना होगा. किसी भी नदी में बिना निबंधन कराए नाविक नाव को नहीं चला सकेंगे. अगर ऐसा करते कोई पकड़ा गया तो जुर्माना भरना होगा. यदि नाविक अपनी नाव में किसी प्रकार का बदलाव करते हैं, तो उन्हें इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी. सूत्रों के अनुसार प्रारूप में इस बात का भी जिक्र है कि शाम 5:30 बजे के बाद किसी भी नदी में नाव का परिचालन प्रतिबंधित रहेगा.
बिहार में नाविकों के लिए बनेगी नियमावली
इस नियमावली के लागू होने से अवैध बालू खनन पर रोग लग सकती है. नाविकों को नियमावली बनने और प्रभावी होने के बाद नाव पर लिखना होगा कि उनकी नाव कितना भार उठा सकती है. इसके लिए नाव पर एक सफेद पट्टी बनाकर भार क्षमता बतानी होगी. लेकिन यह तो अभी नियम का प्रारूप है, सरकार कब इसे लागू करेगी, इसकी प्रतीक्षा रहेगी. बताया जाता है कि बिहार में नदी से अच्छा बालू जमीन की खुदाई से निकलता है. 7-8 फीट जमीन खोदने पर रेत निकलने लगती है. फिर तो माफिया चींटी -माटा की तरह वहां जुटने लगते है. बिहार में 202 किलोमीटर तक बहने वाली सोन नदी में रोहतास, भोजपुर और पटना जिले में अवैध घाटों से लगातार खनन का काम किया जाता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

Recent Comments