टीएनपी डेस्क(TNP DESK):लालू परिवार के करीब माने जाने वाले संजय यादव का रुतबा राजद में काफी बड़ा है.यही वजह है कि वे झारखंड के एकमत्र ऐसे मंत्री हैं जो राजद कोटे से विधानसभा पहुंचे है.संजय यादव लगातार तीन बार से गोड्डा विधानसभा सीट से जीतते आ रहे है यही वजह है कि संजय यादव को हेमंत सोरेन के कैबिनेट में मंत्री पद मिला है. संजय यादव को राजद की रणनीतिकार भी माना जाता है वे तेजस्वी यादव के भी काफी करीबी माने जाते है. लेकिन इन दिनों संजय यादव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे वह काफी ज्यादा हताश और निराशा नजर आ रहे है.

पढ़ें क्या है विवाद 

दरअसअल सोशल मीडिया में एक पोस्ट वायरल हो रहा है जिसमे झारखंड के मंत्री संजय प्रसाद यादव वोट देकर बाहर निकलते हुए नजर आ रहे है. एक संजय यादव की बेटा रजनीश यादव बिहार विधानसभा चुनाव में कहलगांव सीट से चुनाव लड़ रहे थे जिसकी वोटिंग 11 नवंबर को हुई थी. पोस्ट के जरिये दावा किया जा रहा है कि संजय यादव ने पुरे परिवार के साथ अपने बेटे को वोट दिया.जबकी संजय यादव गोड्डा के महगामा विधानसभा के वोटर है. ऐसे में सवाल उठता है कि एक व्यक्ति बिहार झारखंड दो विधानसभा क्षेत्र का मतदाता कैसे हो सकता है.

वीडियो में संजय यादव वोट देने की बात को खारिज कर रहे है

जब यह पोस्ट वायरल हुआ तो गोड्डा में चर्चा होने लगी. वहीं झारखंड में इस बात की चर्चा हो रही है कि झारखंड का एक मंत्री बिहार और झारखंड दोनों जगह का वोटर कैसे हो सकता है. विवाद बढ़ता देख संजय यादव ने सफाई देते हुए एक वीडियो जारी किया.

जिसमें उनके चेहरे के हाव-भाव ऐसे हैं जैसे वह अंदर से काफी ज्यादा हताश और निराशा है.उनको देखकर ऐसा लग रहा है कि वह डरे और सहमे हुए है. वीडियो में भले संजय यादव वोट देने की बात को खारिज कर रहे है और दावा कर रहे हैं कि अभी कोई साबित कर देता है कि मैंने कहलगांव विधानसभा से वोटिंग की है तो वह अपने राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लेंगे.

सोशल मीडिया पर viral video चर्चा में

वहीं वीडियो के वायरल होते ही लोग अब सवाल उठा रहे है कि अगर संजय यादव ने वोटिंग नहीं की या उनकी कोई गलती नहीं है तो फिर वह इतनी हताश और निराशा क्यों दिख रहे है.अगर उनकी गलती नहीं है तो उन्हें खुश होना चाहिए. सोशल मीडिया के साथ गोड्डा में इस बात की चर्चा हो रही है कि संजय यादव इतने कद्दवार नेता मानें जाते है. राजद के बड़े चेहरा के रूप में भी जाने जाते हैं तो फिर ऐसी निराशा और हताशा क्यों.