धनबाद(DHANBAD): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और भाजपा नेत्री सीता सोरेन और उनके पूर्व निजी सहायक  देवाशीष के बीच शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है.  धनबाद में मार्च के पहले सप्ताह में पूर्व पीए देवाशीष घोष सीता सोरेन  पर पिस्टल  तान दी थी.  इस आरोप में उसे जेल भेजा गया था.  आरोप  था कि उसने धनबाद के एक होटल में सीता सोरेन पर जानलेवा हमले का प्रयास किया था.  इधर, दुमका में सीता सोरेन  ने अपने पूर्व निजी सहायक देवाशीष घोष पर चेक बुक पर फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए की निकासी का आरोप लगाया है.  यह शिकायत दुमका नगर थाने में की गई है.  पुलिस ने निजी सहायक के खिलाफ प्राथमिकी   दर्ज कर ली है.  आवेदन में बताया गया है कि विधानसभा चुनाव 2024 में जामताड़ा से वह चुनाव लड़ी थी.  इस दौरान निजी सहायक के रूप में देवाशीष घोष उनका कामकाज देख रहा था.  विधानसभा चुनाव में खर्च का हिसाब भी रख रहा था.

आरोप -माँगने पर भी नहीं दिया हिसाब 
 
 चुनाव खत्म होने के बाद जब सीता सोरेन ने मार्च 2025 में उससे  हिसाब मांगा, तो उसने कहा कि सारा हिसाब आपको दे देंगे.  लेकिन काफी दिनों तक हिसाब नहीं दिया.  इस पर उन्हें शंका हुई और अपने स्तर से जांच की तो पता चला कि चुनाव में जो रकम पार्टी से मिली थी, उसमें लाखों रुपए का कोई हिसाब- किताब नहीं है.  सीता सोरेन  ने अपने आवेदन में कहा है कि जब निजी सहायक से चेक बुक की मांग की, तो उसने आनाकानी शुरू कर दी.  बाद में जब चेक बुक दिया ,तो उसमें कई चेक में फर्जी हस्ताक्षर कर राशि की निकासी कर ली गई थी.  उन्हें यह भी पता चला है कि पहले उसके बैंक खाते में मामूली रकम थी.  पर चुनाव के दौरान उसके खाते में काफी रुपए का लेन देन हुआ.  उसने पश्चिम बंगाल से गाड़ी भी खरीदी थी.  साथ ही  उसने काफी मात्रा में सोने की जेवरात की परचेस किया था. 

धनबाद में मार्च के पहले सप्ताह में हुआ था विवाद 
 
बता दें कि धनबाद में मार्च के पहले सप्ताह में पैसे के लेनदेन को लेकर ही विवाद हुआ था, तो देवाशीष ने सीता सोरेन  पर पिस्तौल तान दी थी.  निजी सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत देवाशीष को कब्जे में ले लिया और उसके बाद सरायढेला पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था.  सीता सोरेन  2024 के लोकसभा चुनाव के पहले झामुमो  को छोड़कर भाजपा में चली गई थी.  दुमका लोकसभा से चुनाव लड़ा ,लेकिन वह हार गई.  फिर 2024 के विधानसभा में भाजपा ने उन्हें जामताड़ा से चुनाव लड़ाया, लेकिन वहां भी  उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा.  यह विवाद  जामताड़ा में चुनाव खर्च के हिसाब -किताब को लेकर शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो