रांची(RANCHI): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबंध में चुनाव आयोग से आया पत्र अभी तक राजभवन में है. इसका लिफाफा अभी तक खुला नहीं है. सरकार का नेतृत्व करने वाला दल यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा यह जानना चाहता है कि लिफाफा में आखिर क्या है. वजह साफ है कि माइनिंग लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता सवालों के घेरे में रही है. राज्यपाल द्वारा प्रेषित भाजपा के शिकायत पत्र पर भारत निर्वाचन आयोग ने सुनवाई के बाद अपनी अनुशंसा पत्र के माध्यम से राजभवन को भेज दिया है.यह पत्र 25 अगस्त को ही आया हुआ है.लेकिन 45 दिन बाद भी लिफाफा अभी भी सटा हुआ है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि उन लोगों ने सूचना के अधिकार कानून के तहत राजभवन से पत्र के संबंध में जानकारी मांगी है. राजभवन को यह जानकारी देनी चाहिए.अब सवाल यह उठता है कि राजभवन या जानकारी देगा या नहीं यह उसके अधिकार क्षेत्र में है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में जांच के दायरे में हैं. भाजपा ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने पद पर रहते हुए लाभ लेने का काम किया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि अगर राजभवन पत्र के संबंध में जानकारी नहीं देता है तो और भी रास्ते हैं.मसलन न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया जा सकता है.उधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश कहते हैं कि कानून अपना काम कर रहा है. कब लिफाफा खुलेगा,इसके बारे में कोई दबाव या कोई अन्य प्रयास बेकार है. यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वे क्या करते हैं इसके लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता. दीपक प्रकाश ने कहा कि राजभवन से सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगना महज नौटंकी है.

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