रांची(RANCHI): राजभवन की ओर से झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है, हेमंत सरकार की ओर से इसे दिसम्बर 2022 में संशोधन के साथ राजभवन की स्वीकृति के लिए भेजा गया था. इस विधेयक की स्वीकृति के साथ ही आरक्षित वर्गों के लिए नगरनिकाय चुनाव में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. साथ ही रोस्टर प्रणाली भी समाप्त हो गयी है. जिसके चलते यह पूरा विवाद खड़ा हुआ था, इसी रोस्टर प्रणाली के कारण रांची, निगर निगम क्षेत्र में मेयर का पद एसटी के बदले एसी के लिए आरक्षित हो गया था, जिसके बाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई थी, वर्तमान मेयर आशा लकड़ा ने इसे हेमंत सरकार की साजिश बताया था. जिसके बाद इसे संशोधन के साथ राजभवन भेजा गया और रोस्टर की प्रणाली को समाप्त कर जनसंख्या की बहुलता के आधार पर आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षण की नीति अपनाई गयी.
किस नगर निगम निकाय में किस सामाजिक वर्ग की बहुलता है यह तय करना मुश्किल
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि किस नगर निकाय क्षेत्र में किस सामाजिक वर्ग की बहुलता है इसका आधार क्या है, किसी विशेष नगर निकाय क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या का आंकड़ा तो उपलब्ध है, क्योंकि जनगणना में इन जातियों की गिनती होती रही है, लेकिन पेच तो पिछड़ा वर्ग के साथ फंसने वाला है, क्योंकि 1931 के बाद तो इनकी जनगणना हुई ही नहीं, हमारे पास जो भी जानकारी है, उसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, हम दावे के साथ नहीं कह सकते हैं कि अमुक नगर निकाय क्षेत्र में पिछड़ी जातियों की कितनी आबादी है, फिर नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को किस आधार पर आरक्षण का लाभ दिया जायेगा, यह सबसे बड़ा प्रश्न बन कर उभरेगा.
देखना होगा झारखंड सरकार इसका समाधान किस आधार पर करती है
अब जब झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक-2022 को राजभवन की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है, झारखंड सरकार नगर निकाय चुनाव की दिशा में आगे बढ़ने वाली है, तब स्वाभाविक रुप से यह प्रश्न सामने आयेगा, देखना होगा झारखंड सरकार इसका समाधान किस रुप में करती है, या यह एक नया विवाद बन कर सामने आता है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार

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