टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई मंईयां सम्मान योजना कई परिवारों के लिए आर्थिक रीढ़ बनी हुई है. इस योजना न केवल गरीब, पिछड़े एवं आदिवासी वर्ग की महिलाओं के लिए आर्थिक सहारा दिया है, बल्कि सम्मान और आत्म-विश्वास का रास्ता भी दिखाया है. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि मंईयां सम्मान योजना ने झारखंड की आधी आबादी को उड़ान भरने का बड़ा मौका मिला है, जो अब तक अंतिम पायदान पर खड़ी थी. राज्य सरकार द्वारा इस योजना के तहत प्रतिमाह सीधे महिला के बैंक खाते में राशि भेजी जा रही है, जिससे वे अपनी जरूरतों एवं परिवार की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से संभाल पा रही हैं. मंईयां सम्मान योजना बड़ी संख्या में आदिवासी और ग्रामीण महिलाओँ के लिए नई उम्मीद लेकर आई है. इस योजना का उद्देश्य गरीब, पिछड़ी और आदिवासी महिलाओं को सम्मानजनक जीवन, आत्मनिर्भरता और आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराना है.

पलामू की एक लाभुक सुजिका ने मंईयां योजना को लेकर कहा कि हमने बैंक में RD खुलवा लिया है. बच्चों की पढ़ाई शुरू हो गई है. ऐसे में इन पैसों से बच्चों पी फीस जमा कर पाएंगी. सुदूर हाट गम्हरिया की रहने वाली सविता महंती अपने बच्चों का सिर सहलाते हुए उनके बेहतर भविष्य का सपना देखती हैं.

लातेहार की अलोरा ने मंईयां योजना को लेकर कहा कि पैसे आने से ज़िंदगी पटरी पर आ रही है. वहीं दुमका की लक्ष्मी ने कहा कि अब ज़रूरी घरेलू सामान के लिए भीख नहीं मांगनी पड़ती. मंईयां योजना की राशि मिलने से गांव की महिलाएं काफ़ी ज़्यादा स्वतंत्र महसूस कर रही हैं.

रांची की नीलू देवी का मानना ​​है कि मंईयां सम्मान योजना ने उनकी मुश्किलें काफी कम कर दी हैं. महिलाओँ की आंखों की चमक बताती है कि मंईयां सम्मान योजना की राशि उनके रोज़मर्रा के संघर्षों को कम करने और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने में अहम भूमिका निभा रही है.

2024 में हुई थी मंईयां योजना की शुरुआत

मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत अगस्त 2024 में हुई थी, जिसमें 21 से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रतिमाह ₹1,000 देने का प्रावधान था. इसके बाद से दिसंबर 2024 में इसे बढ़ाकर ₹2,500 प्रतिमाह कर दिया गया. इस तरह सरकार ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं.

मंईयां सम्मान योजना से ऐसे बदल रही झारखंड की महिलाओं की ज़िंदगी

सामाजिक सम्मान में वृद्धि :  पहले जो महिलाएं पहले घर की आर्थिक मजबूरियों के कारण निर्णय नहीं ले पाती थीं, अब वही अपने परिवार की मुखिया बनकर निर्णय ले रही हैं. अपने परिवार को आर्थिक मदद भी कर रही है.

आर्थिक आत्मनिर्भरता: हर महीने मासिक सहायता मिलने से महिलाएं अब छोटे व्यवसाय शुरू कर रही हैं. जैसे कि सब्ज़ी की दुकान, मुर्गी पालन, बकरी पालन आदि.

शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार : इस योजना से मिलने वाली राशि से महिलाएं अपने बच्चों की पढ़ाई और परिवार की सेहत पर खर्च कर पा रही हैं.

महिला समूहों का गठन:  कई जगहों पर लाभार्थी महिलाएँ स्व-सहायता समूह (Self Help Groups) बनाकर सामूहिक रूप से आर्थिक गतिविधियां चला रही हैं.

क्यों खास है मंईयां सम्मान योजना

सीधा लाभ ट्रांसफर: राशि सीधे महिलाओं के बैंक खाते में जाती है, जिससे बैंकिंग पहुँच न रखने वालों तक भी फायदा पहुंचा.

लाभार्थी-दृष्टि: पिछड़े व आदिवासी इलाकों में महिलाओं की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को सुधारने पर विशेष जोर.

आयु सीमा में बदलाव: शुरू में 21 से 50 वर्ष की महिलाओं को पात्र बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे 18 वर्ष तक कम कर दिया गया जिससे युवा-पड़ाव में भी महिलाओं को अवसर मिला.

पारदर्शिता एवं निगरानी: सरकार ने एक ही बैंक खाते व आधार लिंकिंग को अनिवार्य किया है ताकि फर्जी लाभार्थियों को रोका जा सके.

आदिवासी-ग्रामीण महिलाओं पर असर

ग्रामीण व आदिवासी इलाकों की महिलाओं के लिए मंईयां सम्मान योजना की राशि एक प्रकार से 'सेफ्टी नेट' बन गई है. खेती-बारी, मजदूरी या घर-गृहस्थी में आने वाले अनिश्चित आय स्रोतों के बीच उन्हें मदद मिली है. छोटी-छोटी खरीदारी, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य खर्च में महिलाओं को अब कुछ शक्ति मिली है. इसके साथ ही सामाजिक दृष्टि से भी महिलाओं का सम्मान बढ़ा है. योजनाओं तक पहुंच में बाधाओं को कम करने के लिए बैंकिंग एवं आधार लिंकिंग जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी जोर रहा है, जिससे दूर-दराज इलाकों में रहने वाली महिलाओं को लाभ मिल सका है.