रांची(RANCHI): सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड के 11वें राज्यपाल के रुप में अपनी शपथ ले ली है. राजभवन स्थित बिरसा मंडप में झारखंड हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने सीपी राधाकृष्णन को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर सीएम हेमंत सोरेन, राज्य के कई मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य सचिव, डीजीपी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद रही. लेकिन इसके साथ ही शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण भारत के कई लोग अपनी परंपरागत वेश-भूषा में नजर आयें.
सीएम और नवनियुक्त राज्यपाल की बॉडी केमेस्ट्री से निकलते संकेत
बता दें कि इसके पहले 17 जनवरी को झारखंड पहुंचे ही नव नियुक्त राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का राज्य सरकार की ओर से जोरदार स्वागत किया था, इस दौरान नव नियुक्त राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच जबरदस्त बॉडी केमेस्ट्री देखने को मिली थी. दोनों बेहद सहज भाव से एक दूसरे को अभिवादन करते नजर आ रहे थें.
हालिया दिनों में राजभवन से राज्य सरकार के रिश्ते
यहां यह भी बता दें कि निवर्तमान राज्यपाल रमेश बैस के दौर में राज्य सरकार और राजभवन के बीच कई मुद्दों पर तलवार खिंची नजर आयी थी, खास कर चुनाव आयोग की चिट्ठी को लेकर सीएम हेमंत राजभवन पर हमलावर नजर आये थें, यह स्थिति तब और भी तनावपूर्ण नजर आने लगी थी, जब तत्कालीन राज्यपाल रमैश बैस ने राज्य सरकार की बहु प्रचारित 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति के विधेयक को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया था, इसके बाद सीएम हेमंत के द्वारा राजभवन को निशाने पर लिया गया था, तब सीएम हेमंत ने कहा था कि राज्य में एक निर्वाचित सरकार है, राज्य को चलाना और अपने निवासियों की भलाई और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए कानून निर्माण करना राज्य सरकार की जिम्मेवारी है, यहां वही कानून बनेगा जो राज्य की जनता और सरकार चाहेगी, किसी भी कानून का निर्माण राजभवन की मर्जी से नहीं होगा.
जाते जाते निवर्तमान राज्यपाल ने खोले थें कई राज
हालांकि जाते जाते तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने यह साफ कर दिया था कि उनकी मंशा कतई राज्य सरकार को परेशान करने की नहीं थी, यही कारण है कि हमने चुनाव आयोग की चिट्ठी को नहीं खोला. उनके द्वारा यह दावा भी किया गया था कि इस प्रकरण के बाद राज्य सरकार काभी सक्रिय हो गयी और आखिरकार इसका लाभ राज्य की जनता को मिला.
बजट सत्र में एक बार फिर से राजभवन भेजा जा सकता है 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति का विधेयक
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अब झारखंड में नये राज्यपाल का आगवन हो चुका है, उनका शपथ ग्रहण भी पूरा हो गया है, अब उनकी नजर राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर रहेगी, राज्य सरकार की ओर से एक बार फिर से संभावित संशोधनों के साथ 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति को बजट सत्र में पास कर राजभवन भेजने की तैयारी की जा रही है.
1932 का खतियान पर नये राज्यपाल के रुख का इंतजार
अब देखना होगा कि इस मामले में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का नजरिया क्या होता है? जो गरमजोशी सीएम हेमंत और उनके बीच देखने को मिल रही है, उसकी उम्र क्या होगी? क्या चुनाव आयोग की उस चिट्ठी का बंबडर एक बार फिर से राज्य में सियासी तूफान नहीं मचायेगा? या राज्यपाल राज्य सरकार के एक संरक्षक के रुप में अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे, या पूर्व की भांति ही राज्यपाल केन्द्र सरकार के सियासी संकेतों के आधार पर भी अपना निर्णय लेंगे, यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अपने हालिया टिप्पणी में देश की सर्वोच्च अदालत ने भी राज्यपालों तटस्थ रहने की सलाह दी है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार

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