टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में एक सीट सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है, रघुनाथपुर. आरजेडी नेता और दिवंगत बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा अपनी पहली ही चुनावी पारी में रघुनाथपुर से ऐसी बढ़त बनाए हुए हैं, जिसकी उम्मीद राजनीतिक विश्लेषकों ने भी इतनी मजबूती से नहीं की थी. ताज़ा रुझानों के अनुसार ओसामा बंपर जीत की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं.

ओसामा की जीत सिर्फ एक सीट की जीत नहीं, बल्कि शहाबुद्दीन की राजनीतिक विरासत का पुनर्जीवन मानी जा रही है. वर्षों तक रघुनाथपुर और आसपास के क्षेत्रों में शहाबुद्दीन का प्रभाव बना रहा. समय के साथ राजनीतिक परिस्थितियां बदलीं, आलोचनाएं भी बढ़ीं, लेकिन जनता के एक बड़े हिस्से में शहाबुद्दीन परिवार का प्रभाव आज भी कायम है और इस चुनाव ने इसे फिर साबित कर दिया है.

चुनाव अभियान के दौरान ओसामा की रैलियों में बड़ी संख्या में लोग जुटे. उनका सरल और जनता से सीधे संवाद करने वाला अंदाज़ लोगों को पसंद आया. उन्होंने न पिता की आक्रामक शैली अपनाई, न ही बड़े-बड़े दावे किए, बल्कि स्थानीय मुद्दों, बेरोज़गारी, सड़क, पानी और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया. उनकी यह संतुलित रणनीति मतदाताओं को भरोसेमंद लगी.

रघुनाथपुर का सामाजिक और जातीय समीकरण भी ओसामा के पक्ष में मजबूत रहा. एनडीए की राज्यव्यापी लहर के बावजूद इस सीट पर आरजेडी अपना पारंपरिक आधार बचाए रखने में सफल दिख रही है. मुस्लिम-पिछड़ा समीकरण, शहाबुद्दीन की पुरानी छवि और ओसामा की युवा लोकप्रियता ने मिलकर उन्हें बढ़त दिलाई.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओसामा की यह बढ़त आरजेडी के लिए न सिर्फ राहत है, बल्कि पार्टी के भविष्य के लिए नई उम्मीद भी. ऐसे समय में जब बिहार में एनडीए कई सीटों पर विपक्ष को एकतरफा हरा रहा है, वहीं ओसामा जैसे नए नेतृत्व का उभरना आरजेडी को नई ऊर्जा देता है.

रघुनाथपुर की यह जीत एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश भी देती है, शहाबुद्दीन का प्रभाव खत्म नहीं हुआ है, बल्कि उनकी राजनीतिक विरासत अब एक नए अंदाज़ और नई पीढ़ी के साथ आगे बढ़ रही है. जनता ने यह दिखाया है कि भरोसा और जुड़ाव हो तो पहली बार चुनाव लड़ रहा उम्मीदवार भी बंपर जीत की ओर बढ़ सकता है.

ओसामा का यह उभार न सिर्फ रघुनाथपुर बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है. अगर यह बढ़त अंतिम नतीजों में भी बरकरार रहती है, तो आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.