रांची (Ranchi): गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने देवघर में महाशिवरात्री के अवसर पर परंपरागत रुप से निकाले जाने वाली शिव बारात को लेकर जिला प्रशासन के निर्देशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में प्रशासन के द्वारा तय किये गये रुट चार्ट और तोरण द्वार संबंधी आदेश पर सवाल खड़े किये गये हैं. 

जिला प्रशासन के द्वारा दिया जा चुका है परंपरागत मार्ग पर बारात निकालने की अनुमति

यहां बता दें कि जिला प्रशासन ने आयोजकों को परंपरागत मार्ग पर इसका आयोजन करने की अनुमति प्रदान कर दी है, जबकि सांसद निशिकांत दुबे की मांग जुलूस को पूरे शहर में घूमाने की है, यही कारण है कि जिला प्रशासन के द्वारा गैर परंपरागत मार्गों पर 144 लागू कर दिया गया हैं, इसके साथ ही प्रशासन के द्वारा तोरण द्वार की अधिकतम ऊंचाई 12 फीट निर्धारित की गयी है. सांसद निशिकांत दुबे प्रशासन के इस आदेश को भी चुनौती दे रहे हैं. 
नये मार्ग पर जुलूस निकालने की अनुमति की मांग क्यों
लेकिन सवाल यह है कि सांसद निशिकांत दुबे परंपरागत मार्ग से हटकर जुलूस निकालने की मांग क्यों कर रहे हैं? जबकि कानून व्यवस्था संभालना जिला प्रशासन की जिम्मेवारी है, जिला प्रशासन नयी मार्ग पर यात्रा की अनुमति देकर किसी विवाद को आंमत्रित क्यों करेगा?  खासकर तब जब इस अवसर पर बड़ा जनसैलाब उमड़ता है?  और इस जनसैलाब को नियंत्रित करना जिला प्रशासन की बड़ी चुनौती होती है. लेकिन सांसद  निशिकांत दुबे का कहना है कि जब खतियान यात्रा के दौरान लगाये जा रहे तोरण द्वारा के समय कोई पाबंदियां नहीं लगायी गयी, तब बाबा की बारात में यह पांबदियां क्यों लगायी जा रही है?

नयी नहीं सांसद का टकराव की यह राजनीति

यहां बता दें कि यह जिला प्रशासन के साथ सांसद निशिकांत दुबे की यह टकराहट नई नहीं है, इसके पहले भी उनके द्वारा डीसी सहित दूसरे अधिकारियों को चुनौती दी जाती रही है, साथ ही उनकी कोशिश इस यात्रा के बहाने हेमंत सोरेन को निशाना बनाने की है. यही कारण है कि उनके द्वारा अब खतियान यात्रा में लगाये गये तोरण द्वार के मुद्दे बनाया जा रहा है, और बड़ी ही चालाकी से इसे हिन्दुओं की भावनाओं से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह पूरा विवाद कानून और व्यवस्था का है, प्रशासन के द्वारा किसी भी नये मार्ग पर जूलूस की अनुमति देकर विवाद की अनुमति नहीं दी जा सकती, अब देखना होगा कि इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला क्या आता है?

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार