DEOGHAR(देवघर): भाजपा को हार मिलने के बाद पार्टी में नराजगी का दौर शुरू हो चुका है, ऐसे में अगर देवघर की बात की जाए तो यहां भाजपा के भीतर कुछ ठीक नहीं चल रहा हैं. दरअसल देवघर जिला में तीन विधानसभा है. वहीं भाजपा के खाते एक भी सीट नही गई, जो अब कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ हैं.
देवघर विधानसभा क्षेत्र
पिछले 10 साल की बात करें तो सारठ और देवघर विधानसभा में भाजपा का कब्जा रहा है, जबकि मधुपुर में 2019 से झामुमो का. लेकिन इस बार के चुनाव में तीनों सीट इंडी गठबंधन के कब्जे में आ गई है. तीनों विधानसभा क्षेत्र की जनता भारी मतों के अंतर से जीता कर अपने चहेते तो विधानसभा पहुंचाई है. बात देवघर की करे तो भाजपा के नारायण दास भीतरघात के शिकार हुए हैं. सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी का विरोध करना नारायण दास को महंगा पड़ गया. विरोधी खेमा देवघर से नारायण दास को हराने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिया गया था, जिसका सफल परिणाम भी सामने आया है. इस सीट से राजद के सुरेश पासवान के हाथों नारायण दास को 39721 मतों से हराने में विरोधी खेमा का भी साथ मिलने की बात अब सामने आ रही है.
सारठ विधानसभा क्षेत्र
अब सारठ विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 2014 और 2019 में लगातार दो बार विधायक बने रणधीर सिंह रघुवर सरकार में मंत्री बने थे. इस बार इनके विपक्ष में झामुमो के उदय शंकर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था. रणधीर सिंह क्षेत्र के लिए लगातार काम करते रहे. झामुमो का टिकट मिलने का प्रबल दावेदार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता थे. लेकिन उन्हें टिकट नही मिला तो वो खुलकर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव में बैटिंग करने लगे. वहीं झामुमो प्रत्याशी उदय शंकर सिंह 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उस दौरान भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से ज्यादा घुलमिल गए थे. उनदिनों का साथ देने वाले भाजपाइयों ने अंदर अंदर झामुमो का साथ दिया जिसका परिणाम भी सामने देखा गया. लगातार दो बार विधायक रहने वाले रणधीर सिंह को 37429 मतों के भारी अंतर से हरा दिया. यहां भी देवघर में भाजपा प्रत्याशी नारायण दास को हराने वाले विरोधी खेमा के समर्थकों ने जमकर पसीना बहाया है. यही कारण है कि रणधीर सिंह चुनाव हार गए.
मधुपुर विधानसभा क्षेत्र
अब बात मधुपुर की करते हैं जहां झारखंड गठन के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि लगातार दुबारा विधानसभा नही पहुंच पाते है. लेकिन इस बार भाजपा के अंदर भितरघात के कारण झामुमो के हाफिजुल हसन दुबारा विधायक बने हैं. भाजपा ने इस क्षेत्र से राज पलिवार को टिकट दिया था जो कई बार विधायक बने थे और रघुवर सरकार में मंत्री भी बने. लेकिन पिछले दो बार से इन्हें भाजपा आलाकमान ने टिकट नही दिया है. इसलिए राज पलिवार के समर्थक भाजपा आलाकमान से नाराज़ हो कर विपक्ष को मदद करने लगे. भाजपा ने इनके जगह गंगा नारायण सिंह पर दुबारा भरोसा जताया था. राज पलिवार की जगह गंगा नारायण सिंह को टिकट मिलने से नाराज राज के समर्थकों ने अंदर अंदर झामुमो का मदद करने लगे. यही कारण है कि झामुमो के हाफिजुल हसन 20027 मतों से जीतकर दुबारा विधायक बने.
विधानसभा चुनाव में जिला भर से भाजपा का हुआ सफाया
लोकसभा चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले देवघर में नारायण दास की जगह सचिन रवानी को जिलाध्यक्ष बनाया गया. जिलाध्यक्ष ने जो जिला कमिटी बनाई उसमें सिर्फ राज पलिवार और नारायण दास के समर्थकों को ही जगह दी गई थी. जिला कमिटी का विरोध कार्यकर्ताओं ने शुरू कर दिया. खासकर जिलाध्यक्ष और महामंत्री का विरोध होने लगा. विरोध करने वाले नारायण दास के विरोधी खेमा से आते है. सूत्रों के अनुसार इसलिए विधानसभा चुनाव में जिलाध्यक्ष और महामंत्री का विरोध भितरघात कर किया गया. जिसका परिणाम यह हुआ कि विरोधी खेमा की जीत हुई और भाजपा का तीनो सीट से सफाया. अब विरोधी खेमा कौन है यह बात न सिर्फ देवघर के भाजपाई जानते है बल्कि आलाकमान को भी पता है. अगर समय रहते भाजपा आलाकमान द्वारा भीतरी मनमुटाव मिटाने की पहल शुरू नही हुई तो देवघर जिला से भाजपा का सफाया ऐसे ही होता रहेगा.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा

Recent Comments