रांची(RANCHI): भारतीय संस्कृती में खोइचा का विशेष महत्व है. अष्टमी तिथि को महिला भक्तों के द्वारा माता रानी का खोईचा भरा जाता है. माता रानी से महिलाएं मनोकामना मांगती हैं और पूरा होने पर मां की विधिवत खोईचा भरती हैं. ऐसी मान्यता है कि मां का खोईचा भरने से सुख समृद्धि का घर में वास होता है. लोग धन-धान्य से संपन्न होते हैं. ईश्वरीय अनुग्रह प्राप्त होता है. मां के खोईचा में पान, सुपारी, मिठाई, चावल, हल्दी, अक्षत से किया जाता है.

इस मन्दिर में महिलाएं विशेष रूप से भरती हैं खोईचा 

"The News post" की टीम रांची के हरमू स्थित पंच मंदिर में पहुंची. वहां जाकर कई महिलाओं से टीम ने बात की. महिलाओं का एक हीं स्वर था कि वे मनोकामना पूर्ति के बाद विधि विधान से मां की खोईचा भर रही हैं. वे मां की खोईचा भरकर विधिवत विदाई भी करती हैं. सामग्री के तौर पर पान के पत्ते, मौसमी फल, अरवा चावल, और श्रृंगार का सामान चुनरी में बांध कर माता को अर्पित करती हैं.

किसे दिया जाता है खोईचा

बिहार, झारखंड और यूपी में शादीशुदा बेटियां जब भी मायके से ससुराल जाती हैं तो उन्हे विदाई के वक्त खोईचा उनकी मां या भाभी के द्वारा दिया जाता है. वह पल काफी भावुक करने वाला होता है. खोईचा की तैयारी मात्र से ही घर में सन्नाटा पसर जाता है. उसकी तयारी से यह एहसास हो जाता है कि अब विदाई होने वाली है. मां और बेटी दोनो की आंखों में उस वक्त आंसू रहता है. खोईचा में जीरा, चावल, हल्दी, दूब और कुछ पैसे रखे जाते हैं. इसे बेटी के आंचल में मां या घर की कोई बड़ी सदस्य विदाई के वक्त देती है.उसके बाद सिंदूर लगाकर आशीर्वाद देती है. जब भी बेटी की विदाई होती है तब यह खोईचा दिया जाता है.

खोईचा में दिए गए सामग्री का महत्व

धान या चावल... का अर्थ होता है कि जिस घर में बेटी जाती है वह घर खूबसूरत फसल की तरह लहलहाए.

हल्दी.. के औषधीय गुण है इसका मतलब यह कि बेटी जहां भी रहे निरोग रहे. 

सिक्का.. उस घर में धन संपदा की कमी न रहें

फूल और दूब का... अर्थ है कि जीवन फूलों की तरह सुगंधित रहे.

तो अब समझ में आ गया होगा कि खोईचा में दिया गया यह आशीर्वाद कितना महत्वपूर्ण होता है. खोईचा की यह परंपरा रिश्ते की डोर को मजबूत करती है.