टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती रुझानों ने साफ संकेत दे दिया है कि इस बार तेज प्रताप यादव जनता का मूड समझने में पूरी तरह चूक गए हैं. महुआ सीट से वे करीब 20 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं, जबकि एलजेपी (रामविलास) के उम्मीदवार संजय कुमार यादव बढ़त बनाए हुए हैं.

स्कैंडल और विवादित छवि ने किया नुकसान

तेज प्रताप यादव पिछले कई सालों से अपने अजीबोगरीब वेशभूषा, बयानों और निजी विवादों के कारण चर्चा में रहे. इसके अलावा, उनके नाम से जुड़े कई निजी स्कैंडल, दाम्पत्य विवाद और सार्वजनिक बयानबाजी ने उन्हें “गंभीर नेता” की सूची से दूर कर दिया. इन विवादों से उनकी विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ा.
विकास दिखा नहीं, बयानबाजी ज्यादा दिखी

महुआ क्षेत्र के मतदाताओं का स्पष्ट मानना है कि, स्थानीय समस्याओं पर उनका ध्यान कम रहा क्षेत्र में ठोस विकास कार्य नहीं दिखे. विधानसभा में उनकी उपस्थिति कमजोर रही. ऐसे में मतदाताओं ने इस बार साफ संदेश दिया है की “नाम और वंश काफी नहीं, काम भी चाहिए. ”

तेजस्वी बनाम तेज प्रताप, जनता ने अंतर साफ कर दिया

महागठबंधन में जहां तेजस्वी यादव बड़ा चेहरा बने रहे, वहीं तेज प्रताप को उतना समर्थन नहीं मिल पाया. रुझानों से यह साफ है की लोग दोनों भाइयों को समान नेता नहीं मानते. तेजस्वी की तुलना में तेज प्रताप की विश्वसनीयता कम. वोटिंग अब व्यक्तित्व और काम पर आधारित है, रिश्तों पर नहीं. इन रणनीतियों के कारण महागठबंधन का पारंपरिक वोट बैंक भी बंट गया और तेज प्रताप पिछड़ते चले गए. 

पर इन सभी कारणों के बीच सबसे बड़ा कारण था परिवार से विवाद और अलगाव. जिस तरह से तेज प्रताप का नाम एक महिला से जुड़ा, उनकी तस्वीर वायरल हुई और जिसके बाद उन्हें पार्टी और परिवार से निष्काषित किया गया, यही इस बार उनकी हार का सबसे बड़ा कारण है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की राजद परिवार में पिछले वर्षों से चल रहे मतभेदों ने भी तेज प्रताप की छवि को कमजोर किया है.