रांची(RANCHI): क्या ‘बाबरी के जैसा होगा पारसनाथ पर स्थित जैन मंदिरों का हाल’ जैसे विवादित और भड़काऊ बयान देने के आरोप में पूर्व भाजपा सांसद सालखन मुर्मू की गिरफ्तारी हो सकती है? क्या मरांग बुरु को आदिवासियों को सौंपने की मांग को लेकर आन्दोरत सालखन मुर्मू को जेल की सजा काटनी पड़ सकती है? क्या हेमंत सरकार एक विशेष धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करने आरोप में सालखन मुर्मू के खिलाफ प्राथमिक दर्ज करवा सकती है? 

यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष संजय जैन ने सालखन मुर्मू के बयान पर कड़ी आपत्ति प्रकट की है, संजय जैन ने झारखंड सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि यदि पूर्व सांसद के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी तो जैन समाज आन्दोलन के लिए बाध्य होगा.

संजय जैन ने कहा है कि जैन समाज अहिंसक जरुर है, लेकिन वह नपुंसक नहीं है. सालखन मुर्मू के खिलाफ मासुका लगाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि सालखन मुर्मू यदि मालिकाना हक की बात करे रहे हैं, तो उन्हे कोर्ट जाना चाहिए, ना कि किसी मंदिर को ध्वस्त करने की धमकी देनी चाहिए.

क्या सालखन मुर्मू के खिलाफ कार्रवाई करने की जोखिम लेगी हेमंत सरकार

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हेमंत सरकार सालखन मुर्मू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा कर एक राजनीतिक खतरा मोल लेगी? क्योंकि अपनी गिरफ्तारी के साथ ही सालखन मुर्मू अपने को शहीद घोषित कर देंगे. मरांग बुरु को मुक्त करने की आदिवासियों की इस लड़ाई का वे अपने आप को सच्चा सिपाही बतायेंगे और यह स्थिति हेमंत सरकार के लिए राजनीतिक रुप से मुफीद नहीं होगी. क्योंकि उस स्थिति में सालखन मुर्मू के पक्ष में आदिवासियों की लामबंदी तेज होने की संभावना है. अब देखना होगा कि जैन समाज के द्वारा सालखन मुर्मू के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर हेमंत सरकार का क्या रवैया रहता है.

नौ फरवरी को सालखन मुर्मू ने दिया गया था विवादित बयान

यहां बता दें कि पिछले 9 फरवरी को अपने एक विवादित बयान में पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने पारसनाथ की पहाड़ियों पर स्थित जैन मंदिरों को बाबरी मस्जिद का हाल करने की घमकी दी थी.

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार