चाईबासा (CHAIBASA) :  आप ये जो तस्वीर में बारिश में सड़क किनारे छतरी लिए कतार में खड़ी महिलाओं को देख रहे हैं, ये किसी सरकारी राशन की दुकान में राशन लेने के लिए खड़ी नहीं हैं और ना हीं किसी सरकारी दफ्तर में कोई अपना आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र आदि बनवाने के लिए आई हुई हैं. दरअसल, ये सभी चाईबासा के तांतनगर स्थित केनरा बैंक के ब्रांच में अपने ही पैसों को जमा करने और निकालने के लिए खड़े हैं. कहने को तो ये एक सरकारी बैंक है, लेकिन इस बैंक में ग्राहकों के लिए कोई सुविधा नहीं है. ग्राहक अपनी जान को जोखिम में रख कर प्रति दिन चाईबासा-भरभरिया मुख्य सड़क के किनारे खुद के पैसे निकासी और जमा करने को मजबूर हैं.  

सुविधाओं का घोर अभाव, लाचार लोग

केनरा बैंक शाखा में ग्राहको को सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया है. लोग मजबूरी में एक मात्र राष्ट्रीय बैंक होने के कारण अपने दिन भर की जमा पूंजी जान जोखिम में रख कर जमा करने के लिए आते हैं. बता दें कि यहां आने वाले ज्यादातर लोग आदिवासी हैं जो किसी कारणवश पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाए. इन अनपढ़ ग्राहकों को शोषण के लिए दलाल बैंक के बाहर निकासी फार्म भरने के लिए एक तय रकम खुले आम लेते हैं. दलाल टेबल कुर्सी लगा कर बैठे रहते हैं. इन लोगों को न तो बैंक प्रबंधक द्वारा रोका जाता है और न ही बैंक सुरक्षा के लिए आने वाले पुलिस रोक टोक करती है. ये आदिवासी मजबूर हो गए हैं. इनके लिए ना ही बैंक ने कोई सुविधा दी है और ना ही प्रशासन ने. अगर कल के गए सड़क पर खड़ी इन महिलाओं या पुरुष के साथ कोई अप्रिय घटना घाट जाती है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा? बैंक अधिकारी या जिला प्रशासन? इसकी जवाबदेही तो प्रशासन को ही तय करनी होगी. क्योंकि अगर बैंक इन लोगों को कोई सुविधा नहीं दे रहा है तो प्रशासन का ही दायित्व  है कि वह बैंक के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें.