धनबाद (DHANBAD) - बुधवार को झारखंड सरकार अपने दो साल पूरे होने का जश्न मना रही थी, प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता धनबाद में थे और धनबाद बिजली के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा था. समस्या मंगलवार की रात से शुरू हुई जो बुधवार तक ठीक नहीं हुई. गुरुवार की सुबह तक बिजली की आंखमिचौली जारी है. एक तो डीवीसी से बिजली की कटौती और ऊपर से स्थानीय स्तर पर खराबी से धनबाद अब 'डीजल ' के भरोसे जी रहा है. डीजल की कीमत तो एक अलग समस्या है. आर्थिक संकट से जूझ रहे कल कारखानों की हालत तो और भी खराब हो गई है. 

जनरेटर के भरोसे धनबाद के उद्योग धंधे

पहले से ही उनकी आर्थिक सेहत बिगड़ी हुई है, ऊपर से जनरेटर के भरोसे उद्योग चलाना अब उनके लिए कठिन साबित हो रहा है. छोटे-छोटे दुकानदारों की हालत तो और भी खराब हो गई है. कारोबारियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है. जिले का औद्योगिक विकास रुक गया है. बता दें कि 24 घंटे में 8 घंटे भी बिजली नहीं मिलती, ऐसे में कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है.

पीने के पानी पर भी संकट

पानी आपूर्ति पर भी इसका असर पड़ रहा है. लगातार बिजली नहीं मिलने से जलमीनार नहीं भरे जा सक रहे हैं. नतीजा हो रहा है कि पानी सप्लाई बाधित हो रही है. एक तो शहर को जितने पानी की जरूरत है. उतनी आपूर्ति होती नहीं, दो शाम के बदले केवल एक ही बार जलापूर्ति होती है. उसमें भी जब व्यवधान उत्पन्न हो जाता है तो लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बिजली विभाग सारा दोष डीवीसी को दे अपने को पाक साफ साबित करने की कोशिश करता है. लेकिन मंगलवार की रात हुई बारिश ने बिजली विभाग के इस दावे की पोल खोल कर रख दी है. मंगलवार की रात से ही बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, कहीं हाईटेंशन तार टूटे हैं तो कहीं सब स्टेशनों में खराबी के कारण बिजली विभाग सवालों के घेरे में है. पुराना बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सोहराब खान का कहना है कि झारखंड सरकार दो साल बेमिसाल कार्यक्रम में व्यस्त है और धनबाद के लोग बिजली संकट से बेहाल है.

रिपोर्ट : सत्यभूषण  सिंह, धनबाद