झुमरी तिलैया (JHUMRI TELAIYA) - एक तरफ राज्य सरकार संक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य में पाबंदियों पर बैठक करती है. वहीं दूसरी तरफ सोमवार को ढिबरा और माईका व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों ने रोजी रोजगार के सवाल पर कोडरमा में धरना प्रदर्शन किया. इसके साथ ही ढिबरा चुनने की छूट देने तथा माईका पॉलिसी बनाने की मांग की गई.

ढिबरा चुनने की छूट देने की हुई मांग, जनप्रतिनिधियों पर उठे सवाल

 समाहरणालय के समक्ष ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया गया. इस दौरान माईका पॉलिसी बनाने की मांग की गई तो वहीं ये सवाल भी उठा कि कोडरमा और माईका के हित के लिए आज तक चुने गए जनप्रतिनिधियों ने कुछ नहीं किया. अभी भी झारखंड में बिहार माईका एक्ट 1947 लागू है. वहीं ढिबरा को चुनने वाले मजदूरों और इसका व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों को तंग और परेशान किया जाता है. धरना प्रदर्शन में जिले के ढाब, ढोढाकोला, मेघातरी, सपही, डगरनवा, गझंडी, बेंदी, झरखी विशुनपुर समेत दर्जनों गांवों के हजारों महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया. ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के अध्यक्ष कृष्णा सिंह ने कहा कि 1947 में माइका अधिनियम बनाया गया था और बिहार माइका एक्ट के तहत जमीन में 6 इंच नीचे तक के पदार्थ को माइका नहीं माना गया है. उसे स्क्रैप माना गया है.

बिहार माइका एक्ट के तहत मिलनी चाहिए छूट

झारखंड अलग होने के बाद 2007 में नया एक्ट आया जिसमें माइका के स्क्रैप को खनिज पदार्थ नहीं कहा गया. जिले में रह रहे गरीब मजदूर माईका के स्क्रैप को चुन कर अपनी रोजी रोटी चलाते हैं.  यहां के प्रशासन द्वारा माइका के स्क्रैप से लदी गाड़ियों को पकड़ा जाता है, जबकि सरकार द्वारा कहा गया है कि माइका स्क्रैप खनन पदार्थ नहीं है. ऐसे में एक राज्य में दो कानून चल रहे हैं. पड़ोसी जिला गिरिडीह में ढिबरा स्क्रैप से लदी गाड़ियों को नहीं पकड़ा जाता है, वहीं कोडरमा जिला में ढिबरा स्क्रैप से लदी गाड़ियों को पकड़ा जाता है. हमारी मांग है कि पिछले पांच सालों से जितनी भी माईका स्क्रैप से भरी गाड़ियों को पकड़ा गया है उसे छोड़ दिया जाय और बिहार माइका एक्ट के तहत हमें छूट दी जाये. मालूम हो कि ढिबरा स्थानीय लोगों का रोजगार का मुख्य साधन है. धरना कार्यक्रम में विधायक नीरा यादव ने कहा कि ढिबरा चुनकर जीवन यापन करने वालों को पुलिस तंग कर रही है, मानो वे बहुत बड़े अपराधी हैं. वहीं जिप प्रधान शालिनी गुप्ता ने कहा कि झारखंड बनने के बाद आज तक सरकार के स्तर से माईका पॉलिसी बनाने की पहल नहीं हुई. माईका को लेकर स्थायी समाधान निकले इसके लिए अबतक कुछ नहीं किया गया. धरना को जिप सदस्य शांतिप्रिया, रीतलाल सिंह, सुरेश यादव, आदित्य कुमार ने भी सम्बोधित किया और सरकार से लचीला रुख अपनाने तथा माईका पॉलिसी बनाकर लागू करने की मांग की.  

प्रतिनिधि मंडल ने डीसी को ज्ञापन सौंपा

धरना के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त आदित्य रंजन से मिलकर ज्ञापन सौंपा जिसमें ढिबरा चुनने और व्यवसाय करने की छूट देने, पकड़े गए वाहनों को छोड़ने तथा माईका व्यवसाय को उद्योग का दर्जा देने की मांग की गई.

रिपोर्ट : अमित कुमार, झुमरी तिलैया