दुमका (DUMKA) : देश भर में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है. प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. नए वेरिएंट ओमिक्रोन का खतरा भी बना हुआ है. ओमिक्रोन के केस भी लगातार बढ़ रहे हैं. राज्य की बात करें तो कोरोना केस में एकएक वृद्धि देखने को मिली है. ऐसे में अगर कोरोना वॉरियर्स अपने काम से नदारद रहें तो इस बीमारी से सरकार कैसे लड़ पाएगी? बता दें कि छह महीने से स्वास्थ्यकर्मी के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. इससे नाराज स्वास्थ्यकर्मी टीकाकरण के कार्य को बाधित कर सिविल सर्जन से मिलने पहुंचे हैं.
क्या है मामला ?
कोविड-19 के टीकाकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य केंद्र औऱ राज्य सरकार द्वारा नि:शुल्क टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है. आज सुबह से ही दुमका के रेड क्रॉस भवन स्थित टीकाकरण केंद्र में टीकाकरण का कार्य बाधित है. टीका लेने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे हैं, लेकिन स्वास्थ्य कर्मी नदारद हैं. केंद्र में दो कंप्यूटर ऑपरेटर हैं. उनका कहना है कि आज अभी तक एएनएम केंद्र पर नहीं पहुंची हैं. उनका कहना है कि सभी एएनएम 6 महीने से बकाया मानदेय की मांग को लेकर सिविल सर्जन से मिलने गई हैं. कंप्यूटर ऑपरेटर का कहना है कि 4 महीने से इन लोगों को भी मानदेय नहीं मिला है. इतना ही नहीं टीकाकरण कार्य में लगे कोरोना योद्धा को प्रतिदिन 100 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है, वह भी नहीं दिया जा रहा है. टीका लेने केंद्र पर पहुंचे लोग घंटों से बैठे हुए हैं और स्वास्थ्य कर्मी के आने का इंतजार कर रहे हैं. इस बाबत सिविल सर्जन का कहना है कि पहले फंड उपलब्ध नहीं था. फंड उपलब्ध करा दिया गया है. लेकिन राज्य स्तर से ही सभी कर्मी का एकाउंट ICICI बैंक में किए जाने के कारण तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गयी है.
सरकार बार-बार टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की बात करती है. वहीं टीकाकरण में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को 6 महीने से मानदेय तक नहीं मिला है. मानदेय नहीं मिलने की वजह चाहे जो भी हो, लेकिन सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. अन्यथा वैश्विक महामारी कोरोना पर नियंत्रण पाना कठिन हो जाएगा.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका
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