धनबाद(DHANBAD) के अय्यप्पन मन्दिर में आज दक्षिण भारतीय लोगों ने पोंगल पर्व मनाया. कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ कम रही पर तमिल हिंदुओं का 4 दिनों तक चलने वाला यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व फसल कटाई का त्यौहार है. यह हर साल 14-15 जनवरी को मनाया जाता है.
पालतू पशुओं की पूजा
परंपरागत रूप से पोंगल समृद्धि के लिए समर्पित त्यौहार है. जिसमें समृद्धि लाने के लिए बारिश, धूप, कृषि और पालतू पशुओं की पूजा की जाती है. पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सूर्या, तीसरे दिन मट्टू और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है.
पहले दिन होती है इंद्रदेव की पूजा
पहले दिन भोगी पोंगल में इंद्रदेव की पूजा होती है. दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा होती है. तीसरे दिन मट्टू यानी नंदी बैल की पूजा होती है और चौथे दिन कन्या की पूजा होती है. उत्तर भारत में मकर संक्रांति और पंजाब में लोहड़ी की ही तरह, दक्षिण भारत में पोंगल मनाया जाता है. पोंगल विशेष रूप से किसानों का त्यौहार है. पोंगल की पहली अमावस्या पर, लोग बुरी प्रथाओं को त्यागने और अच्छी चीजों को स्वीकार करने की प्रतिज्ञा करते है. बता दें कि धनबाद में शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन मकरसंक्रांति मनाया जा रहा है. चूंकि ग्रह और लग्न के गणितीय बदलाव के कारण खरमास की समाप्ति शुक्रवार के दोपहर बाद हो रही है. ऐसे में ज़्यादातर लोग शनिवार को ही मकरसंक्रांति और खिचड़ी पर्व मनाएंगे. वहीं झारखंड में धूमधाम से टुसू पर्व मनाया जा रहा है. धनबाद में मकरसंक्रांति पर पतंगबाजी भी देखने को मिलती है.
रिपोर्ट : अभिषेक कुमार सिंह, ब्यूरो हेड, धनबाद
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