धनबाद(DHANBAD)- बीसीसीएल की लगभग दर्जनभर कोलियरियों से दो दिन पहले निकले ऑफर में कोयले की उम्मीद से ज्यादा बोली लगी. अधिकांश कोलियारियां बाघमारा की थी. जहां रंगदारी का खेल कोयलांचल में सबसे अधिक बताया जाता है. बीसीसीएल से 32500 टन कोयले का ऑफर निकाला था. एमएसटीसी ने कोयले की नीलामी की.
फ्लोर प्राइस से 1600 सौ से ₹6000 तक अधिक बोली लगी
पता चला है कि कोयले की बुकिंग फ्लोर प्राइस से 1600 सौ से ₹6000 तक अधिक बोली पर हुई है. कोयले के इस बुकिंग को लेकर जितनी मुंह उतनी तरह की बातें हवा में तैर रही है. सूत्रों का कहना है कि कोरोना काल के कारण सारे उद्योग- धंधे चौपट हो गए हैं.इसलिए ऑफर निकलते ही खरीदार टूट पड़ते है. वह यह नहीं देखते की रॉ मैटेरियल उन्हें महंगा मिल रहा है या सस्ता, उन्हें सिर्फ एक ही चिंता रहती है कि किसी प्रकार उद्योग चलता रहे. दूसरी ओर यह भी बात हो रही है कि बीसीसीएल ने जो ऑफर निकाला था, उनमें अधिकांश कोलियारियां बाघमारा और उसके आसपास क्षेत्र की है.
पहले नहीं मिलते थे खरीदार ,अब बोली पर बोली
पहले इन कोलियरयों में ऑफर निकलने के बाद भी कोई खरीदार नहीं मिलता था. वजह है कि सरदारी के नाम पर जो रंगदारी बाघमारा में चलती है, उससे लोग बचना चाहते थे -तो क्या इस बार अधिक मूल्य पर बोली लगाकर बाघमारा क्षेत्र के कोयले पर लोग रूचि दिखा रहे हैं. इसका यह मतलब निकाला जाए कि बाघमारा क्षेत्र में अब विधायक ढुल्लू महतो की पकड़ ढीली पड़ रही है या फिर एकछत्र राज्य नहीं रह गया है. क्या छोटे-छोटे गुट में बटकर लोग सरदारी का पैसा वसूल रहे हैं. यह बात तो सच है कि लिफ्टिंग के समय सरदारी के नाम पर कोयला लेने वालों को रंगदारी तो देनी ही पड़ती है, लेने वाला चाहे कोई हो.
दबंगों का सिंडिकेट ही लगाता था बोली
सूत्र यह भी बताते हैं कि इसके पहले तक दबंगों का सिंडिकेट ही बोली लगा कर कोयला लेता था और फिर उसे अधिक मूल्य पर बाजार में बेच कर भरपूर मुनाफा कमाता था. इस बार यह भी टूटता दिख रहा है. जिन कोलियारियों के लिए ऑफर निकाले गए थे -उनमें शताब्दी, जमुनिया ,ब्लॉक फोर ,न्यू आकाश किनारी, कांटा पहाड़ी, एस बांसवाड़ा, तेतुलमारी, एनजीकेसी डंप वन एनजीकेसी डंप -2 ,कुइया और जिनगोडा शामिल है. कुल 32500 टन का ऑफर निकला था. समूचे कोयले की बोली लग गई बताई जा रही है. बता दें कि बाघमारा इलाका एक ऐसा क्षेत्र है जहां कोयला उठाव के लिए दबंगई खूब चलती है. हालांकि झरिया और निरसा की ख्याति कम नहीं है. बाघमारा में ढुल्लू महतो और जलेश्वर महतो के समर्थक अक्सर टकराते रहते हैं.
झरिया की राह पर कतरास
बता दें कि माफिया नगरी झरिया की बूढी हड्डियों का फायदा उठाकर कतरास अब उसी राह पर आगे आगे चल रहा है. झरिया की धरती पर एक समय महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू ,राजेंद्र प्रसाद ,अटल बिहारी बाजपयी तक पधारे थे. बापू को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए ब्लेंक चेक मिला था. वह धरती धीरे धीरे अपराध और कपटी राजनीति से घिर गई, फिर तो यहां गोली, बंदूख की राजनीति शुरू हो गई, जो आज भी जारी है लेकिन इसका वेग धीमा जो गया है. दूसरी तरफ झरिया जैसे जैसे कमजोर हुई ,कतरास का कद बढ़ाने लगा. यह धरती भी दानवीरों और समाजसेविओ की जमीन थी. स्वतंत्रता आंदोलन के समय कतरास थाने पर ही झंडा फहराने का प्रयास हुआ था. लेकिन आज कतरास की धरती अपराध ,मारकाट ,खूनखराबे में झरिया पर लगातार भारी पड़ रही है.
रिपोर्ट : सत्य भूषण सिंह ,धनबाद
Recent Comments