देवघर (DEOGHAR) - देवघर के ग्वालबदिया पंचायत में शौचालय निर्माण के नाम पर बड़ी राशि के गबन का  मामला सामने आया है. पंचायत के ही इंद्रदेव यादव द्वारा सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में यह मामला उजागर हुआ है. देश को खुले में शौच से मुक्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई. लेकिन देवघर के ग्वालबदिया पंचायत में सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना मुखिया के कारनामें से सरकारी राशि की लूट का जरिया बन गयी है.

मुखिया पर 19 लाख 34 हज़ार की सरकारी राशि के गबन का आरोप

देवघर प्रखंड के बीडीओ द्वारा इन्हें उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार पंचायत के जामुनिया टांड़ गांव में दो वर्ष पहले 161 शौचालय स्वीकृत की गई. इनमें से मात्र 6 को पूर्ण दिखाया गया है और 120 अभी भी अपूर्ण हैं. बांकी 35 शौचालय ग्राम स्वच्छता समिति द्वारा निर्मित बताया गया है. लेकिन मुखिया विनोद यादव ने जल सहिया की मिली भगत से इसके लिए स्वीकृत 11 लाख 42 हज़ार राशि की निकासी कर ली. इसी तरह पंचायत के छोटी खड़खार गांव के लिए स्वीकृत 65 शौचालय में 19 को पूर्ण बताया गया. जबकि 46 शौचालय अभी भी अपूर्ण हैं. लेकिन इसके लिए स्वीकृत 10 लाख 92 हजार की राशि मुखिया द्वारा निकासी कर ली गई है. इसी तरह पंचायत के अन्य गांवों में भी मुखिया अपना कमाल दिखा कर राशि हड़पने में कामयाब रहे हैं. शिकायत कर्ता ने मुखिया पर 19 लाख 34 हज़ार की सरकारी राशि के गबन का आरोप लगाया है.

विभाग पर सवाल

मुखिया के इस कारनामे के शिकार इन गांवों के लाभुक आज भी अपने शौचालय का इंतेज़ार कर रहे हैं. इनका सब्र भी अब जबाब देने लगा है. मुखिया की मनमानी के शिकार ये ग्रामीण आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. ये ग्रामीण अब खुल कर मुखिया के विरोध में सामने आने लगे हैं और अधिकारियों से इनके खिलाफ कारवाई की मांग  के साथ अधूरे शौचालय के निर्माण का आग्रह कर रहे हैं. विभागीय अधिकारी भी मान रहे हैं कि शौचालय निर्माण में गड़बड़ी हुई है. इसके लिए कार्यपालक अभियंता ने 15 दिन का समय मुखिया आवंटित राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के लिए दिया है. असंतुष्ट होने पर राशि रिकवरी के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज करने का इनके द्वारा आश्वासन दिया जा रहा है.

महिलाएं खुले में शौच करने को मजबूर

खुले में शौच से देश को मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पद संभालने के कुछ ही दिनों बाद 2 अक्टूबर,2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की गई. देवघर में भी पूरे तामझाम के साथ इस मिशन पर काम शुरू हुआ और कुछ ही वर्ष के अंदर जिला को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया. लेकिन सरकारी दावे पर मुखिया की चालबाजी भारी पड़ गई. नतीजा है कि कागज पर ही शौचालय का निर्माण हो गया. वास्तव में आज भी इन गांवों की खासकर महिलाएं खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. इस मामले में विभाग पर भी उंगली उठ रही है.

रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर