धनबाद (DHANBAD) : धनबाद के उद्योग-व्यवसाय को एक बड़ा झटका लगा है. एक बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान को संचालकों ने हमेशा के लिए बंद करने का निर्णय ले लिया है. यह संस्थान है प्रसिद्ध मधुलिका स्वीट्स ,मधुलिका स्वीट्स ने अपने धनबाद के कुल 5 आउटलेट को सदा-सदा के लिए बंद करने की घोषणा कर दी है. शुक्रवार को The Newspost से बात करते हुए मधुलिका स्वीट्स के मालिक जयप्रकाश चौरसिया ने टेलीफोन पर कहा कि धनबाद में कारोबार करने का माहौल नहीं है. कारोबारियों को टॉर्चर किया जाता है. कौन टॉर्चर करता है, इस पर तो उन्होंने कुछ नहीं बताया, लेकिन कहा कि यह उनका अंतिम निर्णय है और अब मधुलिका स्वीट्स के आउटलेट कभी नहीं खुलेंगे.
1983 में खुला था धनबाद में पहला ऑउटलेट
मधुलिका स्वीट्स का पहला आउटलेट 1983 में धनबाद में शुरू हुआ था और 2025 तक बगैर विघ्न- बाधा के कारोबार हुआ. लेकिन अब कारोबार नहीं होगा. इधर, सूत्र बताते हैं कि कई सरकारी विभागों के नोटिस और जुर्माना से संचालक अजीज आ गए थे और अंत में उन्होंने इसे बंद करने का निर्णय ले लिया. इस प्रतिष्ठान का ट्रांजैक्शन सालाना करोड़ों में था. यह अलग बात है कि मधुलिका को देखकर धनबाद में कई मिठाई कारोबारी ने अपना आउटलेट खोल लिए है.
बैंक मोड़ चैम्बर के अध्यक्ष ने कहा-गंभीर विषय
मधुलिका स्वीट्स के बंद होने पर बैंक मोड़ चेंबर के अध्यक्ष प्रमोद गोयल ने प्रतिक्रिया दी है कि एक अति प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान मधुलिका के बंद होने के कई कारण हो सकते है. लेकिन एक कारण वाकई गंभीर और चिंतनीय है. सरकार के इंस्पेक्टर राज और व्यापारी उत्पीड़न की प्रवृत्ति हर व्यवसाय और रोजगार क्षेत्र को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रही है. मेरा उन तमाम ऑफिसर और सरकारी अधिकारियों से आग्रह है कि हर हर व्यवसाय को प्रताड़ित कर बंद करवा दें और राज्य के लाखों बेरोजगारों को स्वयं रोजगार दे. कोई भी सरकारी कार्य जैसे लाइसेंस, एनओसी, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रमाण पत्र, घर- मकान जमीन की रजिस्ट्री, सरकारी कर जमा करना कोई भी सरकारी रिफंड लेना, बिना सुविधा शुल्क के संभव ही नहीं है. यह लोकतंत्र है या राजतंत्र, बहुत ही गंभीर दर्द ए दांस्ता.
पूर्व बैंक मोड़ अध्यक्ष प्रभात सुरोलिया की भी आई प्रतिक्रिया
इधर, पूर्व बैंक मोड़ अध्यक्ष प्रभात सुरोलिया ने कहा है कि धनबाद की पहचान रहे मधुलिका स्वीट्स का सभी आउटलेट बंद होना, हम सबके लिए गहरी पीड़ा का विषय है. पिछले 42 वर्षों से यह ब्रांड/ प्रतिष्ठान न सिर्फ स्वाद का प्रतीक रहा, बल्कि इस शहर की परंपरा और संस्कृति से भी जुड़ा रहा. आज बहुत सारे कर्मचारी बेरोजगार हो गए. अधिकारीयों का रवैया अगर प्रताड़ित करने वाला था, तो ऐसे अधिकारीयों पर कार्रवाई होनी चाहिए. मैं आशा करता हूँ कि आने वाले समय में धनबाद में ऐसे प्रतिष्ठानों को संरक्षित और सहयोग देने की पहल हो, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इन धरोहरों से वंचित न हो.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो

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