धनबाद(DHANBAD) : देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन बढ़ता गया और कोयलाकर्मियों के लिए बनी कोल माइंस प्रोविडेंट फंड (सीएमपीएफ) पर ब्याज दर लगातार घटती गई. कोयलाकर्मियों को जमा राशि पर कम ब्याज मिल रहा है. दरअसल, 2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था. जो घटते-घटते अब 2025 में 7.6 0% हो गया है. 2024 में भी 7.6 0% ही था. जबकि उसके पहले के वर्ष में अधिक था. बता दें कि कोयलाकर्मियों को प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज की दर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में तय होता है. इसके अध्यक्ष कोयला सचिव होते है. ज्यादातर सदस्य सरकार के अधिकारी या उनके मनोनीत प्रतिनिधि होते है. ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर होता है.

ट्रस्ट की बैठक में ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते है
 
 इसमें ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते है.  यही वजह है कि यूनियन के बहुत विरोध का असर बैठक में नहीं हो पाता .  कोयलाकर्मियों के मूल वेतन से 12 फ़ीसदी राशि कटती  है.  उतनी प्रतिशत राशि कोयला कंपनिया  देती है. बताया जाता है कि सरकार कोयलाकर्मियों का पैसा शेयर में लगाती  है.  मजदूर संगठन इसका विरोध करता रहा है.  शेयर में पैसा डूबने का असर कोयलाकर्मियों की आय  पर पड़ता है.  यही वजह है कि एक समय 12% तक ब्याज मिलता था, जो आज घटकर 7.60% हो गया है.  बता दे कि कोयलाकर्मियों की उम्मीद पर 2025 में तुषारापात  हो गया .  वित्तीय वर्ष 24- 25 में भी उनके प्रोविडेंट फंड पर 7.6 प्रतिशत ही ब्याज निर्धारित हुआ, जबकि सूद की दर बढ़ने की उनको उम्मीद थी. 

CMPF0 का अस्तित्व ही ख़त्म करने की मांग उठने लगी है  

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPF0 )का अस्तित्व ही खत्म करने की मांग अब उठ गई है. कोल माइंस पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामानुज प्रसाद ने कहा है कि हमारी मांग है कि सीएमपीएफओ को कोल इंडिया लिमिटेड में विलय कर दिया जाए और अंशदाता की पेंशन आदि की व्यवस्था कोल इंडिया लिमिटेड करे. इस प्रकार करने से अंशदाता की जमा राशि का 4% प्रशासनिक खर्च भी बचेगा और अंशदाताओं को राशि भी समय पर मिल जाएगी.

गठन का उद्देश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना  था 
 
उन्होंने कहा है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन की स्थापना भारत सरकार के श्रम और नियोजन मंत्रालय के अधीन हुई थी. जिसका उदेश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना था. संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था. जिसके तहत इस संगठन को अधिकृत किया गया था कि नियोक्ता अगर अंशदाता से काटी गई राशि को समय पर CMPF0 में जमा नहीं करता है, तो नियोक्ता को दंडित कर सकता है. किंतु श्रम और रोजगार मंत्रालय से कोयला मंत्रालय में आने के बाद यह संस्था शक्तिविहीन हो गई है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो