जमशेदपुर(JAMSHEDPUR):कोल्हान के अलग-अलग हिस्सों में आये दिन हाथिओं का झुंड घुस जाता है जिससे गांव वालो को जान माल का नुकसान झुलन पड़ता है, तो वहीं कई बार रेलवे ट्रैक को पार करते समय हाथियों का झुंड ट्रेन की चपेट में आ जाता है जिससे उनकी मौत हो जाती है. वहीं कई बार हाईटेंशन तार की चपेट में आकर भी हाथियों की जान चली जाती है, इसी के समाधान के लिए कोल्हान में अबुआ हाथी एप लॉन्च किया गया है.जिसके जरीये वन विभाग और ग्रामीण हाथियों का लोकेशन पर नजर रख सकेंगे.
पढ़ें कैसे हथियों के ताडंव पर लगेगा विराम
कोल्हान में इन दोनों जंगली हाथियों का आतंक देखने को मिल रहा है, जहां आए दिन चाईबासा सरायकेला और पूर्वी सिंहभूम जिले में हाथियों द्वारा ग्रामीणों को मार दिया जा रहा है या ग्रामीणों के कई एकड़ फसल को नष्ट किया जा रहा है, जो गांव के लोगों के साथ-साथ वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रही थी.जिससे निपटने के लिए वन विभाग ने अब वह हाथी एप लॉन्च किया गया है.
पढ़ें ये ऐप कैसे करेगा काम
अबुआ हाथी ऐप के माध्यम से 5 से 10 किलोमीटर दूर हाथियों के झुंड को अलार्म और फोन के माध्यम से गांव के लोगों के साथ वन विभाग के कर्मचारियों को जानकारी मिल जाएगी, जिससे जान माल के साथ-साथ खेतों के फसलों को भी बचाया जा सकेगा. पश्चिम बंगाल और ओडिसा से सटे चाकुलिया क्षेत्र जंगली हाथियों का बसेरा बन चुका है, इससे किसानो, व्यवसायियो के साथ-साथ आम जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है. वन विभाग का मानना है कि हाथियों को खदेड़कर निर्जन स्थान तक सीमित रखना संभव नहीं हो रहा है. हालांकि हाथीं-मानव द्दंद रोकने क लिए बन विभाग लगातार प्रयासरत है.
अबुआ ऐप सें क्या फायदा
1:ऐप के जरिए हाथियों का झुंड 5 से 10 किलोमीटर दूरी तक मैसेज और फोन कॉल से गांव के लोगों को अलर्ट कर दिया जाएगा
2:ऐप के माध्यम से हाथियों के झुंड पर नजर रखा जाएगा.
3:हाथियों से हुए नुकसान और मुआवजा का ऑनलाइन ऐप में भरकर मुआवजा ले सकेंगे.
4:पूरे दलमा जंगलों में जानवरों का डाटा ऐप में रखा जाएगा.
5:जंगलों में आग लगने से ऐप के माध्यम से इसकी जानकारी वन विभाग को मिल सकेगी.
6:जंगलों में सभी जानवरों की जानकारी कौन कहा है मिल सकेगी .
7:ऐप के माध्यम से वन कर्मचारी अपने हाजिरी के साथ अपनी ड्यूटी भी ऑनलाइन दिखा सकेंगे .
रिपोर्ट-रंजीत ओझा

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