धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में घाटशिला उपचुनाव  चुनाव क्या किसी नए राजनीतिक समीकरण को जन्म दे सकता है? क्या महागठबंधन को घेरने के लिए एनडीए नई रणनीति पर काम कर सकता है? क्या विधायक जयराम महतो की पार्टी चुनाव से दूरी बना सकती है? क्या जयराम महतो को एनडीए गठबंधन में लाया जा सकता है? इस तरह के तमाम सवाल जमशेदपुर, रांची और धनबाद में उमड़-घुमड़ रहे है. सूत्र बताते हैं कि घाटशिला उपचुनाव के बहाने झारखंड में एक नई दिशा तय करने की कोशिश हो रही है. आगे क्या होगा, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन घाटशिला उपचुनाव में इसकी पृष्ठभूमि तैयार करने की कोशिश जरूर की जा रही है. 

जेएलकेएम अगर चुनाव से दूरी  बना लेता है, तब भी भाजपा को फ़ायदा 
 
एनडीए के साथ जयराम महतो की पार्टी को लाने की कोशिश चल रही है. हालांकि जयराम महतो का कहना है कि इस तरह की कोई बात नहीं है. यह बिल्कुल अफवाह है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि भाजपा कोशिश कर रही है कि जयराम महतो का समर्थन एनडीए को मिल जाए. क्योंकि जयराम महतो घाटशिला उपचुनाव में एक बड़े फैक्टर बन सकते है. इधर, भाजपा अपने प्रतिद्वंदी झामुमो के उम्मीदवार की घेराबंदी की तैयारी में है. भाजपा जयराम महतो को साथ लेकर कुर्मी वोट को साधने की कोशिश में लगी हुई है. राजनीतिक पंडित मानते है कि जेएलकेएम अगर एनडीए में शामिल भी नहीं होता है और वह चुनाव से दूरी बना लेता है, तो इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. 

भाजपा कई विकल्पों पर कर रही काम 

इस मुद्दे पर विधायक जयराम महतो का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है. घाटशिला में उम्मीदवार देने के मुद्दे पर भी वह बहुत साफ-साफ कुछ नहीं बता रहे. इससे लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है.  यहां यह बताना जरूरी है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू को घाटशिला से उम्मीदवार बनाया था. उन्हें लगभग 8000 वोट मिले थे. 2024 के विधानसभा चुनाव में झामुमो  के उम्मीदवार रामदास सोरेन 22,000 वोट से चुनाव जीते थे. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन एनडीए के उम्मीदवार थे. पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद यह उपचुनाव हो रहा है. इधर यह भी चर्चा है कि घाटशिला उपचुनाव में कांग्रेस नेता प्रदीप बालमुचू को झटका लग सकता है. 

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन का बढ़ सकता है टेंशन 

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन को भी जोर का झटका, धीरे से लग सकता है. प्रदीप बलमुचू भी घाटशिला सीट पर कांग्रेस कोटे से उम्मीदवारी का अप्रत्यक्ष दावा कर रहे थे, लेकिन अब उनके दावे की हवा निकल रही है. क्योंकि सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने कह दिया है कि वह घाटशिला उपचुनाव में झामुमो का सपोर्ट करेगी. यह बात अलग है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपने बेटे को टिकट दिलाने के प्रयास में है, लेकिन भाजपा नेताओं की चुपी उन्हें परेशान कर रही है. 2024 के विधानसभा चुनाव में उनके बेटे बाबूलाल सोरेन चुनाव हार गए थे. रामदास सोरेन झामुमो  के टिकट पर चुनाव जीते थे. रामदास सोरेन का निधन 15 अगस्त को हो गया, जिस वजह से यहां उपचुनाव  हो रहा है. फिलहाल  कोल्हान में अपना पैर जमाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है और भाजपा के बड़े आदिवासी नेताओं में भी भीतर ही भीतर खींचतान चल रही है.  ऐसे में चंपाई  सोरेन के पुत्र को टिकट मिलेगा, इसमें संदेह व्यक्त किया जा रहा है.  यह बात अलग है कि अगर चंपाई सोरेन अपने बेटे को घाटशिला से टिकट नहीं दिला सके, तो यह उनकी बड़ी राजनीतिक हार होगी.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो