टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार यह भव्य यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है. आज ज्येष्ठ पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाएगा, जिसे स्नान यात्रा के नाम से जाना जाता है और यह भगवान जगन्नाथ का शाही स्नान होता है. स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिनों तक अस्वस्थ रहते हैं. इस दौरान भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ के दर्शन बंद रहते हैं. जब भगवान जगन्नाथ पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं, तब जगत के नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है और वे अपने भक्तों को दर्शन देते हुए नगर भ्रमण पर निकल जाते हैं.

रांची के धुर्वा स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में बुधवार को पारंपरिक देव स्नान यात्रा का आयोजन पूरी श्रद्धा, उल्लास और भक्ति के साथ किया जाएगा. यह पर्व भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की वार्षिक रथ यात्रा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है, जिसकी तैयारियां कई सप्ताह पहले से ही शुरू हो गई हैं. मंदिर समिति और सेवायतों द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ इस पवित्र आयोजन का आयोजन किया जाएगा.

इस दौरान सात दिनों तक मेला लगता है और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. 11 जून को भव्य देव स्नान यात्रा निकाली जाएगी. कार्यक्रम की शुरुआत सुबह पांच बजे सुप्रभातम और छह बजे मंगल आरती से होगी. दोपहर एक बजे विशेष पूजा शुरू होगी. दोपहर 12 बजे भगवान को भोग लगाया जाएगा और फिर मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गर्भगृह से बाहर निकालकर जुलूस की शक्ल में स्नान मंडप में लाया जाएगा. यहां तीनों मूर्तियों को 51-51 मिट्टी के घड़ों में रखे औषधीय जल से स्नान कराया जाएगा. सबसे पहले भगवान बलभद्र, फिर सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाएगा. स्नान अनुष्ठान का नेतृत्व पुजारी रामेश्वर पाढ़ी, सरयू नाथ मिश्र, कौस्तुभधर नाथ मिश्र और श्रीराम मोहंती करेंगे. इस अवसर पर प्रथम सेवायत ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव यजमान के रूप में मौजूद रहेंगे.

शाही स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार क्यों पड़ते हैं?

शाही स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ के बीमार पड़ने की अवधि को अनासार और गुप्त काल कहा जाता है. इस दौरान भगवान को एकांत में रखा जाता है और भक्तों को उनके दर्शन की अनुमति नहीं होती है. इस अवधि के दौरान भगवान जगन्नाथ का उपचार विशेष औषधीय लेप के साथ-साथ तुलसी के लेप से किया जाता है, जो राजवैद्य द्वारा किया जाता है. अनासार काल समाप्त होने के बाद 27 जून को पूरे धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. जिसमें वे अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ अपनी मौसी के घर जाएंगे.