धनबाद: बंगाली बहुल क्षेत्र हीरापुर में दुर्गा पूजा की शुरुआत पारंपरिक बांग्ला रीति-रिवाजों के साथ की गई. महासप्तमी के अवसर पर आज विभिन्न पूजा समितियों ने स्थानीय तालाबों से कोलाबऊ (नवपत्रिका) को स्नान कराकर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की. इसके बाद ढाक की गूंज और भक्तों के नृत्य-गान के बीच पालकी द्वारा शोभायात्रा निकालकर पूजा मंडपों में कोलाबऊ की स्थापना की गई. इसी के साथ महासप्तमी पूजा का शुभारंभ हुआ.
नेपाली काली मंदिर, हीरापुर दुर्गा मंदिर, जगदंबा मंदिर, खोखन तालाब स्थित मंदिर, बंगाली कल्याण समिति, देवी पाड़ा, झरना पाड़ा समेत सभी पूजा समितियों के सदस्य खोखन तालाब से नवपत्रिका और घट का जल लेकर अपने-अपने पूजा पंडालों तक शोभायात्रा के रूप में पहुंचे. वहीं हीरापुर हरि मंदिर, जगाधत्री मंदिर, वाच एंड वार्ड कॉलोनी तथा हीरापुर पार्क मार्केट स्थित बंगाली वेलफेयर सोसाइटी ने पंपु तालाब से नवपत्रिका और घट का जल लाकर पूजा मंडपों में स्थापित किया.इस दौरान भक्तगण पारंपरिक वाद्य ढाक की धुन पर झूमते, नाचते और गाते हुए नजर आए. चारों ओर भक्ति और उल्लास का वातावरण देखने को मिला.
जानकारी के अनुसार सप्तमी के दिन प्रातः नवपत्रिका यानी कोलाबऊ, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक नौ पौधे शामिल होते हैं, को जलाशय में स्नान कराकर पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसके बाद नवपत्रिका को दुर्गा पूजा मंडप में लाकर स्थापित किया जाता है, जिससे पूजा की औपचारिक शुरुआत होती है.
रिपोर्ट: नीरज कुमार

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