बक्सर(BUXER):आजकल के जीवन में मोबाइल फोन अब जरूरत से बढ़कर अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसी मोबाइल की जिद ने बक्सर जिले में एक परिवार की खुशियों को हमेशा के लिए छीन लिया. नया भोजपुर थाना क्षेत्र में मंगलवार को एक विवाहिता ने मोबाइल फोन नहीं मिलने पर अपने तीन बच्चों के साथ जहर खा लिया. इस दिल दहला देने वाली घटना में मां समेत दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि 12 महीने का मासूम बेटा जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है.
मोबाइल फ़ोन ने ली जान
नया भोजपुर गांव निवासी सुनील कुमार राजमिस्त्री का काम करते है.उनकी तीसरी पत्नी सविता देवी (30) कुछ दिनों से मोबाइल फोन की मांग कर रही थी. मंगलवार दोपहर लगभग एक बजे जब सुनील ने फोन देने से इनकार किया, तो सविता ने आवेश में आकर घर में रखे कीटनाशक का सेवन कर लिया और अपने तीनों बच्चों को भी वही जहर खिला दिया.
एक बच्चे की हालत गंभीर
कुछ ही देर में चारों की हालत बिगड़ने लगी.परिवार वालों ने तुरंत उन्हें डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया, जहां से गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने सभी को सदर अस्पताल बक्सर रेफर कर दिया.इलाज के दौरान सविता देवी, उनकी पांच वर्षीय बेटी ज्योति और तीन वर्षीय बेटा आकाश की मौत हो गई.वहीं, 12 माह का बेटा विकास गंभीर हालत में भर्ती है और उसे बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच, पटना भेजा गया है.
पति की तीन शादियां, पहले भी दो पत्नियों की हो चुकी मौत
पति सुनील कुमार ने बताया कि उनकी तीन शादियां हो चुकी है. पहली दो पत्नियों की पहले ही मृत्यु हो चुकी है.सविता उनकी तीसरी पत्नी थी.पहली पत्नी से हुई बेटी ज्योति की भी इस घटना में मौत हो गई, जिससे पूरा परिवार तबाह हो गया है.सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सरस्वती चंद्र मिश्रा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि सभी ने कीटनाशक का सेवन किया था.वहीं, नगर थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने घटना की सूचना मिलते ही सदर अस्पताल पहुंचकर जांच शुरू की. पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है.
इस त्रासदी से नया भोजपुर गांव में मातम पसरा हुआ है.ग्रामीणों का कहना है कि मोबाइल जैसी छोटी-सी बात पर इस तरह तीन जिंदगियां खत्म हो जाएंगी, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। लोग घटना को सामाजिक और पारिवारिक संवाद की कमी का परिणाम मान रहे है.यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है कि छोटी-छोटी बातों में संवादहीनता और भावनात्मक असंतुलन किस हद तक भयावह परिणाम दे सकते है.

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