धनबाद (DHANBAD) : बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. बंगाल में 25 से 30 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां पर कुड़मी समुदाय का दबदबा है. जानकारी के अनुसार बंगाल के पुरुलिया, बांकुडा, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर और दक्षिण दिनाजपुर जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर कुड़मी  निवास करते है. 2021 के चुनाव में भी इन सीटों पर हार जीत में कुड़मी समुदाय की भूमिका थी. इधर, झारखंड में 28 आदिवासी आरक्षित सीट है. इन सीटों पर एक तरह से 2024 के विधानसभा चुनाव में लगभग महागठबंधन का कब्जा रहा. ऐसे में झामुमो  के लिए इस आंदोलन को लेकर स्टैंड लेना बहुत आसान नहीं होगा. कांग्रेस भी चुप ही रहेगी.  

कुड़मी समाज की मांग के खिलाफ मुखर है आदिवासी संगठन

लेकिन कुड़मी आंदोलन अब धीरे-धीरे ही सही तीव्र होता जा रहा है. कुड़मी समाज के इस मांग के खिलाफ आदिवासी संगठन भी मुखर है. झारखंड में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और विधायक जयराम महतो आंदोलन के पक्ष में है. कुछ नेता और सांसद भी केंद्र सरकार के संपर्क में है. दरअसल, कुड़मी  समुदाय खुद को आदिवासी मानता है. फिलहाल उन्हें ओबीसी का दर्जा प्राप्त है, लेकिन वह संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा उन्हें शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अधिक लाभ दे सकता है. 

1931 की जनगणना का दे रहे उदहारण,पढ़िए-क्या कह रहे  
 
उनका यह भी कहना है कि 1931 की जनगणना में कुड़मियो को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था.  लेकिन 1950 के बाद स्वतंत्र भारत में जब अनुसूचित जनजातियों की सूची तैयार की गई, तो कुड़मी समुदाय को जगह नहीं दी गई.  उनका यह भी कहना है कि ब्रिटिश काल में उन्हें विभिन्न दस्तावेजों में एक जनजाति और भारत के एक आदिवासी समुदाय के रूप में सूचीबद्ध किया था.  वह इस पहचान को फिर से बहाल  कराना  चाहते है. इधर ,भरोसेमंद  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के कुड़मी  नेता जल्द दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ वार्ता के लिए जा सकते है.  कुड़मियो  को अनुसूचित जनजाति(आदिवासी ) का दर्जा देने की मांग पर अड़े आंदोलनकारी अपनी मांगों पर वार्ता कर सकते है. 

केंद्र सरकार बुला सकती है प्रतिनिधिमंडल को 
 
सूत्रों के अनुसार आजसू  के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, ओडिशा  से राज्यसभा सदस्य ममता महतो, भाजपा सांसद विद्युत वरण महतो , आजसू  सुप्रीमो सुदेश महतो और जेएलकेएम के अध्यक्ष टाइगर जयराम महतो केंद्र सरकार से वार्ता के लिए समन्वय स्थापित कर रहे है. बता दें कि अभी हाल ही में कुड़मी  संगठनों ने "रेल टेका -डगर छेका" कार्यक्रम के दौरान बड़े पैमाने पर रेल यातायात को प्रभावित किया था.  केंद्रीय गृह मंत्रालय के आश्वासन पर संगठनों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन को वापस लेने की घोषणा की थी. कुड़मी  संगठनों के संयुक्त समिति के प्रमुख के मुताबिक झारखंड के कुछ प्रमुख नेता केंद्रीय गृह मंत्रालय के संपर्क में  है. बहुत जल्द  आंदोलनकारियो  को वार्ता के लिए दिल्ली बुलाया जा सकता है. आंदोलन कर रहे संगठन के अनुसार केंद्र सरकार के रुख  को देखते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी.  अगर केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज होगा.  

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो