रांची: झारखंड राज्य ने अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर लिए हैं. इन दो दशकों में राज्य ने जहां खनिज, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाए हैं, वहीं शिक्षा व्यवस्था में भी कई बदलाव देखने को मिले हैं. हालांकि चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं. सवाल यह है कि 25 साल बाद झारखंड की शिक्षा व्यवस्था कितनी बदली है.
शिक्षा के क्षेत्र में क्या क्या हुआ बदलाव
राज्य गठन के शुरुआती वर्षों में झारखंड शिक्षा के मामले में पिछड़े राज्यों में गिना जाता था. सरकारी स्कूलों की स्थिति खराब थी, शिक्षकों की भारी कमी थी और ड्रॉपआउट रेट बेहद ऊंचा था.लेकिन बीते वर्षों में कई पहलें की गईं विद्या वाहिनी, स्मार्ट क्लासरूम योजना और ई-लाइब्रेरी प्रोजेक्ट जैसे डिजिटल प्रयास शुरू हुए.
ग्रामीण इलाकों में विद्यालय बनाया गया और बालिका शिक्षा अभियान ने पॉजिटिव असर दिखाया.राज्य में विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ी. रांची यूनिवर्सिटी, BIT सिंदरी, और IIM रांची जैसे संस्थान अब राष्ट्रीय पहचान बना चुके हैं.
हालांकि कई प्रयासों के बावजूद झारखंड की शिक्षा व्यवस्था अभी भी कई स्तरों पर संघर्ष कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी विकास बाकी है.
सरकार ने अगले पाँच वर्षों के लिए कुछ प्रमुख योजनाओं पर फोकस किया है
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस मॉडल को हर जिले में लागू करना
आदिवासी और बालिका शिक्षा के लिए अलग से फंडिंग बढ़ाना
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करना ताकि हर छात्र ऑनलाइन लर्निंग से जुड़ सके
टीचर ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम को टेक्नोलॉजी-आधारित बनाना
झारखंड ने शिक्षा के क्षेत्र में 25 वर्षों में लंबी दूरी तय की है, लेकिन यह सफर अभी अधूरा है. अभी भी राज्य स्तर पर कई सुधार की जरूरत है.

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