दिल्ली (DELHI ) - देश के 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के विज्ञान  भवन में आज मीटिंग की.मीटिंग में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गयी.इसी कड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उग्रवादी संगठनों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा रही है.इन अभियानों के फलस्वरूप राज्य में उग्रवादियों की उपस्थिति मुख्य रूप से पारसनाथ पहाड़, बूढ़ा पहाड़, सरायकेला, खूंटी, चाईबासा, कोल्हान क्षेत्र तथा बिहार सीमा के कुछ इलाके तक सीमित रह गई है.वह दिन दूर नहीं जब इन स्थानों से भी वामपंथी उग्रवाद का सफाया किया जा सकेगा. सीएम ने कहा कि वर्ष 2016 में 195 उग्रवादी घटनाएं हुई थी. यह संख्या वर्ष 2020 में घटकर 125 रह गयी है. वर्ष 2016 में उग्रवादियों द्वारा 61 आम नागरिकों की हत्या की गयी थी, वर्ष 2020 में यह संख्या 28 रही. इस अवधि में कुल 715 उग्रवादी गिरफ्तारी हुए. उक्त अवधि में पुलिस मुठभेड़ में 18 उग्रवादियों को मार गिराया गया था.


युवाओं के लिए 'सहाय' योजना लाने के प्रयास में लगी सरकार 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वर्ष 2020 तथा 2021 के अगस्त तक 27 उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण भी किया गया है.राज्य की आकर्षक आत्मसमर्पण नीति का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है.कम्युनिटी पुलिसिंग के द्वारा भटके युवाओं को मुख्य धारा में वापस लाने का प्रयास हो रहा है.राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं के लिए 'सहाय' योजना लाने के प्रयास में लगी है.जिसके अन्तर्गत इन क्षेत्रों में विभिन्न खेलों के माध्यम से युवाओं और अन्य लोगों को जोड़ा जायेगा. 

10 हजार करोड़ रुपये का बिल गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया है 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवाद की समस्या केन्द्र तथा राज्य सरकार दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी  है.ऐसी परिस्थिति में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति के बदले भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों से राशि की मांग करना व्यवहारिक प्रतीत नहीं होता है. इस मद में झारखण्ड के विरुद्ध अबतक 10 हजार करोड़ रुपये का बिल गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया है कि इन बिलों को खारिज करते हुए भविष्य में इस तरह का बिल राज्य सरकारों को नहीं भेजने का निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया जाये. 

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में योजनाएं अचानक बंद न हो 

भारत सरकार द्वारा समय-समय पर उग्रवाद के उन्मूलन हेतु कई योजनाएं लागू की गयी हैं. इन योजनाओं से विशेष लाभ भी मिला है,कुछ जिलों में  इन योजनाओं को अचानक बंद कर दिया गया है.जिससे उग्रवाद उन्मूलन की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को आघात पहुंचता है. अचानक इन योजनाओं को बंद कर देने से उग्रवाद को पुनः पैर पसारने का मौका मिल सकता है. इसी संदर्भ में विशेष केंद्रीय सहायता के तहत् प्रति जिला 3300 करोड़ रुपये की राशि भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है.प्रारम्भ में यह योजना 16 जिलों के लिए स्वीकृत की गयी थी.इस वर्ष यह योजना मात्र 08 जिलों के लिए जारी रखी गयी है. इसी प्रकार एसआरई योजना से कोडरमा, रामगढ़ तथा सिमडेगा को बाहर कर दिया गया है.मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया है  योजनाओं नक्सल प्रभावित जिलों  पांच वर्षों तक जारी रखा जाए.

रिपोर्ट :रंजना कुमारी (रांची ब्यूरो )