दिल्ली(DELHI) : सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले की सुनवाई करते हुए देश भर के ब्युरोक्रैटस, खासकर पुलिस अधिकारियों के अत्याचार के खिलाफ आम आदमियों की सुनवाई के लिए एक पैनल गठन करने पर अपनी सहमति दी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि वह नौकरशाही, विशेष रूप से पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए "अत्याचारों" की आम आदमी से प्राप्त शिकायतों की जांच के लिए स्थायी समितियां बनाने के पक्ष में हैं, जिसे उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा अध्यक्षता की जाए.

हाल के दिनों में पुलिस द्वारा अत्याचार के मामले बढ़े हैं

CJI द्वारा ये बात तब बोली गई है जब पुलिस अधिकारी गंभीर अपराध करने के लिए सुर्खियों में हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस अधिकारियों पर एक होटल में छापेमारी के दौरान एक व्यापारी की मौत का आरोप लगा है. वहीं तमिलनाडु में सीबीआई ने पिता-पुत्र की जोड़ी, पी. जयराज और जे. बेनिक्स की हिरासत में हुई मौत के लिए नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. ऐसे और भी कई उदाहरण हैं जिनमें कई अधिकारियों को लॉकडाउन के दौरान नागरिकों को प्रताड़ित करने का वीडियो सामने आया है. इससे नाराज मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने अदालत में कहा कि "नौकरशाही, विशेष रूप से पुलिस अधिकारी, जो कर रहे हैं, उससे हम बहुत परेशान हैं. मैं पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए अत्याचारों की शिकायतों को देखने के लिए उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के नेतृत्व में स्थायी समितियां बनाने के पक्ष में था. ”

कोर्ट की ये टिप्पणी तब आई जब अदालत छत्तीसगढ़ में निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी. उन्होंने वर्तमान सरकार द्वारा उनके खिलाफ देशद्रोह, रंगदारी और आपराधिक धमकी सहित विभिन्न आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की थी.