पाकुड़ (PAKUR): शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होती, जब कोई शिक्षक अपने छात्रों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए दिल से कोशिश करता है, तो वह शिक्षा सेवा से बढ़कर एक सामाजिक क्रांति बन जाती है. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है हिरणपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय हाथकाठी (हिंदी) के प्रभारी प्रधानाध्यापक दीपक साहा ने, जिन्होंने 20 जून को आयोजित ‘तिथि भोजन कार्यक्रम’ को सिर्फ एक खानपान कार्यक्रम नहीं, बल्कि बच्चों की यादों में बस जाने वाला स्नेह और संस्कार का उत्सव बना दिया.

विद्यालय को बच्चों के स्वागत के लिए खास अंदाज़ में सजाया गया गुब्बारे और नीम के पत्तों से सजी दीवारें, बच्चों के लिए स्वच्छ और जीवंत वातावरण, और सबसे खास बात, वह आत्मीयता जिसने सरकारी स्कूल को एक बड़े संवेदनशील परिवार में बदल दिया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे हिरणपुर अंचल अधिकारी मनोज कुमार ने बच्चों से संवाद करते हुए उन्हें नशामुक्त जीवन, सड़क सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और सबसे जरूरी – नियमित रूप से विद्यालय आने की प्रेरणा दी। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि "पढ़ाई की एक उम्र होती है, और अगर इस उम्र में सही दिशा मिली, तो जीवन में कोई लक्ष्य असंभव नहीं.

सिर्फ शिक्षा नहीं, जश्न भी बच्चों का जन्मदिन स्कूल में मनाया गया

इस विशेष तिथि भोजन कार्यक्रम की सबसे खूबसूरत झलक वह पल था जब इस माह जन्मे सभी छात्रों का सामूहिक जन्मदिन मनाया गया. विद्यालय परिवार के समक्ष केक काटा गया, तालियों की गूंज में बच्चों के चेहरे पर जो खुशी दिखी, वह किसी भी निजी स्कूल की चमक-दमक को पीछे छोड़ गई। ऐसा लगा मानो स्कूल नहीं, बच्चों के सपनों का घर बन गया हो.

भोजन नहीं, अपनापन परोसा गया

तिथि भोजन के अंतर्गत पलाव, पूड़ी-दाल, सलाद, मिठाई और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन परोसे गए. सबसे भावुक पल तब आया जब अंचल अधिकारी मनोज कुमार, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी ट्विंकल चौधरी और प्रभारी प्रधानाध्यापक दीपक साहा ने बच्चों के साथ बैठकर वही भोजन किया, जिससे बच्चों को यह अनुभव हुआ कि वे सिर्फ छात्र नहीं, बल्कि इस संस्था के सजीव और मूल्यवान अंग हैं.

एक संवेदनशील शिक्षक की पहचान

दीपक साहा ने यह साबित किया कि एक शिक्षक सिर्फ पढ़ाने वाला नहीं होता, वह एक मार्गदर्शक होता है, जो बच्चों के मन, भावनाओं और आत्मविश्वास को पोषित करता है. उनकी यह पहल केवल एक दिन की घटना नहीं है, बल्कि यह झारखंड के शिक्षा तंत्र को मानवीय दिशा देने वाला उदाहरण बन सकता है.

रिपोर्ट : नंद किशोर मंडल/पाकुड़