टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा इस सृष्टि के पहले शिल्पकार हैं, जिन्होंने ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि को खूबसूरत बनाने जिम्मा उठाया था. ऐसे में मानयता यह भी है कि रावण की सोने की लंका से लेकर श्रीकृष्ण की द्वारका नागरी तक का निर्माण किया था. साथ ही उन्हें शिल्पकारों और हुनरमंदो के सबसे बड़े भगवान का दर्जा भी दिया गया है. ऐसे में हम सभी जानते हैं की भगवान विश्वकर्मा पूजा कल यानि की 17 सितंबर को मनाई जाएगी पर क्या आपको विश्वकर्मा पूजा के विधि विधानों के बारे में पता है?
भगवान विश्वकर्मा को अस्त्र-शस्त्र, और तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का देवता माना गया है ऐसे में उनके साथ ही तमान अस्त्र-शस्त्र, मशीनों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार इस साल भगवान विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर 2025 को प्रात:काल सुबह 6:07 से 12:15 बजे के बीच की जाएगी. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद अपने औजारों, मशीनों और काम में आने वाली चीजों की विशेष रूप से सफाई करनी चाहिए. उसके बाद भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर आसन बिछाकर रखें और उनकी पुष्प, फल, धूप, दीप, रोली, चंदन आदि से पूजा करें. भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन उनके मंत्र 'ॐ विश्वकर्मणे नमः' का अधिक से अधिक जप करें और पूजा करने के बाद सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.
विश्वकर्मा पूजा का है खास महत्व : यह पर्व ना केवल धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर देखा जाता है बल्कि श्रमिकों और कारीगरों के लिए भी इस पूजा का खास महत्व है. यह समाज में श्रम और कारीगरी के सम्मान को भी दर्शाता है.
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