टीएनपी डेस्क(TNP DESK)- राफेल के बाद अब प्रीडेटर ड्रोन की खरीद में भी घोटाले के आरोप लगने लगे हैं. पीएम मोदी के हालिया अमेरीकी दौरे में प्रीडेटर ड्रोन की खरीददारी के समझौते पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री का शौक अब देश को महंगा पड़ने लगा है, पीएम मोदी देश में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी तो भाजपा अध्यक्ष राष्ट्रीय नड्डा से पूछते हैं, लेकिन 25,000 करोड़ का ड्रोन की खरीददारी करने पहले अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत के बारे में सीसीएस (Cabinet Committee on Security) की राय लेना भी गंवारा नहीं समझते.   

कांग्रेसी नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के लिए 25,000 करोड़ रुपये में समझौता करने से पहले सीसीएस (Cabinet Committee on Security) की राय नहीं लिया जाना एक गंभीर संकेत है. आखिर सीसीएस की राय क्यों नहीं ली गयी? जबकि अंतराष्ट्रीय बाजार में इससे चार गुना कम कीमत पर यही प्रीडेटर ड्रोन उपलब्ध है. देश का पैसा विदेशों में जाकर देने से पहले आपको इस बात की जानकारी तो होनी चाहिए कि अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत क्या है.

 पवन खेड़ा  के आरोप


पवन खेड़ा ने कहा कि अब देश को पीएम मोदी का यह महंगा शौक महंगा पड़ने लगा है. जो राफेल सौदे में घोटाले के बाद अब वही कहानी अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन की खरीददारी में दुहराई जा रही है. दूसरे देश उन्हीं ड्रोनों को चार गुना से भी कम कीमत पर खरीद रहे हैं, लेकिन भारत 31 प्रीडेटर ड्रोन तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 25,000 करोड़ रुपये में खरीद रहा है. यानि हम एक ड्रोन के लिए करीबन 880 करोड़ का भुगतान कर रहे हैं, अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत को देखते हुए यह पीएम मोदी का एक और महंगा शौक है.

क्या है प्रीडेटर ड्रोन डील? 

ध्यान रहे कि प्रीडेटर ड्रोन का निर्माण अमेरिका की उर्जा और डिफेंस कॉरपोरेशन जनरल एटॉमिक्स के द्वारा किया गया है, अपने हालिया अमेरीकी दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरीका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीद की डील की है. इसमें 15 स्काई गार्डियन और 16 सी गार्डियन ड्रोन है, दावा किया जाता है कि इसकी पहली खेप जुलाई में मिलेगी.

रक्षा मंत्रालय का इंकार

हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद के लिए कीमत और अन्य शर्तों को अभी तय नहीं किया है. बावजूद इसके सोशल मीडिया के हवाले से इस तरह के दावे किये जा रहे हैं.