टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-हिंसा पीड़ित मणिपुर से एक और बूरी खबर आती हुई प्रतीत हो रही है, यह खबर उसी मैतेई समुदाय की ओर से आयी है जिस पर अब तक कुकी जनसमुदाय को निशाने पर लेने का गंभीर आरोप लगता रहा है. जिसकी जनसंख्या राज्य की कुल आबादी का करीबन 53 फीसदी और 60 सदस्यीय विधान सभा में विभिन्न पार्टियों से 40 विधायक हैं. इसके विपरीत कुकी और नागा समुदाय की आबादी करीबन 40 फीसदी की है, और उनके 20 विधायक है. इन आंकड़ों को देखकर कोई भी कह सकता है कि मैतेई समुदाय का मणिपुर में सामाजिक प्रभुत्व है, और शासन और विधायिका में उसकी पर्याप्त भागीदारी है.
फूट डालो राज करो की नीति पर चल रही है केन्द्र सरकार
लेकिन अब उसी मैतेई समुदाय ने केन्द्र सरकार पर आरोपों की बौछार की है. बिष्णुपुर जिले के अंतर्गत ट्रोंग्लाओबी में एक सभा को संबोधित करते हुए निंगथौजा लान्चा ने केन्द्र सरकार पर आरोपों की बौछार करते हुए इस बात का दावा किया है कि वर्तमान संकट मात्र कानून और व्यवस्था की विफलता का परिणाम नहीं है, बल्कि केन्द्र सरकार की फूट डालो और राज्य सरकार की नीतियों का दुष्परिणाम है.
वर्तमान संकट मैतेई समुदाय के गंभीर चुनौतियां लेकर आया है
निंगथौजा लान्चा ने कहा है कि मणिपुर का मौजूदा संकट उनके लिए गंभीर चुनौतियां लेकर आया है. इन तीन महीनों में मैतेई समुदाय के को बड़े पैमाने पर जान-माल नुकसान उठाना पड़ा है. और आज भी जान माले के इस नुकसान को झेलने के लिए अभिशप्त हैं, लोग असहाय और हताशा की स्थिति में अपना दिन काट रहे हैं. भारत में विलय के समय हमने जो सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का सपना देखा था, वह सब कुछ तार-तार होता नजर आ रहा है. हमारी सामाजिक आर्थिक और पारिस्थितिक व्यवस्था में लगातार गिरावट आयी है.
हमारे मुद्दों को समझने में विफल रही केन्द्र सरकार
मैतेई समुदाय का दावा है कि केन्द्र सरकार उसके मुद्दों की पहचान में विफल रही, वह मणिपुर के संकट को महज कानून और व्यवस्था के चश्मे से देखने की कोशिश करती रही है, जबकि हमारी चुनौतियां सिर्फ राज्य के भीतर के हालत से नहीं है, बल्कि चीन और म्यांमार से निकटता के कारण हमारी विशिष्ट भू राजनीतिक समस्या से भी हमें दो चार होना पड़ा रहा है. लेकिन केन्द्र सरकार ने संवेदनहीनता का परिचय देते हुए कोई सार्थक संवाद करना भी उचित नहीं समझा.
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