रांची(RANCHI): झारखंड में हूल दिवस के दिन बवाल हुआ. भोगनाडीह में सीदो कान्हु के वंशज और पुलिस के बीच संघर्ष देखने को मिला. इस दौरान झड़प में एक ओर से तीर धनुष तो दूसरी ओर से आँसू गैस के गोले और लाठी चलाई गई. यह झारखंड के इतिहास में पहली बार हुआ जब शहीद स्थल के पास झड़प देखने को मिली है. अब इसके पीछे की कहानी क्या है. हर कोई जानना चाहता है. आखिर इस संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई और इतना बवाल कैसे बढ़ गया.

बताया जा रहा है कि भोगनाडीह में सिदो कान्हु के वंशज मांझी परगना के साथ एक कार्यक्रम करना चाह रहे थे. इसके लिए एक दिन पहले प्रशासन से अनुमति मांगी. लेकिन इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गई. इसके बाद भी सिदो कान्हु के वंशज मण्डल मुर्मू और उनके साथी उस शहीद स्थल पर कार्यक्रम आयोजित करना चाह रहे थे. इसमें मुख्यातिथि के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन समेत कई भाजपा के बड़े नेता शामिल होने वाले थे.

इसी जगह से कुछ दूर पर झारखंड सरकार का भी कार्यक्रम था.जो हर साल हूल दिवस पर प्रस्तावित रहता है. इस बीच जब सीदो कान्हु के वंशज को कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिली. बिना अनुमति के उस स्थल पर एक टेंट लगाया गया था. बताया जा रहा है कि टेंट को पुलिस ने देर रात हटा दिया. जिससे मण्डल मुर्मू के समर्थक आक्रोशित हो गए. साथ ही सिदो कान्हु पार्क में ताला मार दिया और प्रदर्शन करने लगे. इसी जगह से विवाद शुरू हुआ. देखते देखते पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया. भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई.    

इस बीच मण्डल मुर्मू और उनके साथ सैकड़ों आदिवासी भी मौके पर पहुंचे और पहले पूजा करने की मांग करने लगे. लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नही दी. साथ ही ताला को तोड़ कर आगे की तैयारी शुरू कर दी .इससे वहाँ मौजूद मण्डल मुर्मू के समर्थक आक्रोशित हो गए. वहां पर लगे होर्डिग को फाड़ दिया. जिससे बवाल की शुरुआत हुई. आक्रोशित लोगों ने पुलिस पर तीर धनुष से हमला कर दिया. जिसके बाद भीड़ को कंट्रोल करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और आँसू गैस के गोले दागे गए. बवाल जब बढ़ा इसके बाद डीआईजी खुद मौके पहुँच कर मामले को शांत कराया.जिसके बाद स्तिथि कंट्रोल में की गई.

इस लाठीचार्ज इसके बाद कई लोग भोगनाडीह पहुंचे और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया. सबसे पहले लोबिन हेमब्रम ने सरकार के इशारे पर पूरी घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया है. इसके बाद सीता सोरेन पहुंची और सिदो कान्हु के जन्म स्थली पहुँच कर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सिदो कान्हु के वंशज से मुलाकात की.