Ranchi- पूरे देश की 85 फीसदी खनन संपदा हमारी धरती के नीचे दफन है. लेकिन रॉयल्टी के नाम पर महज 10 हजार करोड़ रुपये, और यह पैसा भी केन्द्र सराकर के आगे रोने गाने के बाद किस्तों में हमारे हिस्से आता है. आखिर वह कौन है जो हमारी रॉयल्टी खा रहा है, जिस खनन और डैम के कारण झारखंडियों की जिंदगी उजड़ रही है, हमारे लाखों लोग विस्थापित हो रहे हैं, उनको आज सहारा देने वाला कोई नहीं है, विस्थापित अब काम की खोज में देश के दूसरे महानगरों में खाक छान रहे हैं और दूसरी तरह गैऱआदिवासियों का हुजूम झारखंड की धरती पर हर दिन बढ़ता जा रहा है, इस हुजूम के द्वारा आदिवासी मूलवासियों की जमीन छिनी जा रही है, उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा किया जा रहा है, हम अपने जल जंगल और जमीन से भगाये जा रहे हैं, और यह स्थिति तब है झारखंड गठन के बाद अब तक 23 वर्षों में हमने 23 बजट का अपने सामने देखा, हर बजट के बाद आरोप प्रत्यारोप की बौछार, एक दूसरे को घेरने की कवायद और लेकिन झारखंडियों की जिंदगी में वही फाकाकंसी, आखिर कौन है इसका जिम्मेवार.  

बजट की राशि खर्च नहीं होने का जिम्मेवार कौन?

आज सदन में बजट पर अपनी बात रखते हुए बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने एक बार फिर से केन्द्र सरकार के साथ ही अपनी सरकार को भी निशाने पर लिया. लोबिन ने सदन में सवाल उठाया कि कौन है झारखंडी? क्या है झारखंडी होने की परिभाषा, उन्होंने कहा कि कहीं हमने पढ़ा था कि जो तार के पत्ते पर खाता है और खजूर के पत्ते पर सोता है, वही झारखंडी है, क्या यह सूरत आज भी बदली है. सरकार अपने बजट में बड़ा बड़ा ख्बाव दिखलाती है, झारखंड को बदलने का दावा करती है, और यह सिर्फ इस सरकार में नहीं हो रहा, इसके पहले वाली सरकारों ने भी यही किया है, लेकिन उस बजट की राशि खर्च क्यों नहीं होती. इसका गुनाहगार कौन है? क्या इसके दोषियों को कभी सजा मिलेगी? अपने अंदाज में लोबिन ने बादल पत्रलेख को अपने विभाग का 50 फीसदी राशि खर्च करने पर तंज भी कसा. उन्होंने कहा कि दूसरे विभागों की जानकारियां भी सामने आने चाहिए. जिन मंत्रियों के द्वारा अपने बजट की राशि खर्च नहीं की गयी, उन्हे इसकी जिम्मेवारी लेनी चाहिए.

सीएनटी और दूसरे कानूनों के रहते हमारी जमीनों की लूट क्यों?

पूर्व सीएम हेमंत की चर्चा करते हुए लोबिन ने कहा कि आज हम उनकी सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा नहीं करना चाहते, लेकिन यह सवाल तो महत्वपूर्ण है कि तमाम कानूनों के रहते हुए भी आदिवासी मूलवासियों की जमीन क्यों खिसकती जा रही है, हमारी जमीनों को कौन खा रहा है, आखिर सीएनटी और दूसरे कानूनों का अनुपालन क्यों नहीं हो रहा. लोबिन ने कहा कि यदि गरीबों का काम करोगे तो वाह निकलेगा और नहीं करोगे तो आह मिलेगा, गरीब की इसी आह में हम सब डूब जायेंगे. क्योंकि अंतिम फैसला उसी जनता के हाथ में हैं. उसके फैसले के  बाद ही हम सदन में आते हैं.

आप इसे भी पढ़ सकते हैं-

झारखंड में शेख भिखारी के नाम पर होगी उर्दू विश्वविद्यालय की स्थापना, विधायक प्रदीप यादव की मांग पर सरकार ने जतायी सहमति

झारखंड भाजपा शासित राज्य नहीं! वक्फ बोर्ड, उर्दू अकादमी, उर्दू शिक्षक और हज कमेटी पर फैसला करें सरकार, विधायक इरफान का दावा इंतजार की घड़ी खत्म

सांसद निशिकांत को इरफान की चेतावनी, जामताड़ा ट्रेन दुर्घटना में मृतकों की लाश पर बंद करें राजनीति, नहीं तो गोड्डा से दूर भागलपुर की करनी होगी तैयारी

सियासत के बूढ़े गब्बर को अब सांभा और कालिया भी नहीं डालता घास! राजद-कांग्रेस में लूट से भाजपा मालामाल और फांकाकसी का शिकार जेडीयू का दस्तरख़ान

असंतुष्ट विधायकों के बाद अब कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की और जलेश्वर महतो ने भी की कांग्रेस महासचिव से मुलाकात, प्रदेश संगठन में बदलाव की अटकलें तेज