धनबाद (DHANBAD) : धनबाद के बहुचर्चित पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में संजीव सिंह सहित 10 को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया. फैसला आने के बाद संजीव सिंह की पत्नी और झरिया विधायक रागिनी सिंह के तेवर तल्ख है. उन्होंने घोषणा कर दी है कि 8 साल का बदला 8 साल से लेगी. जिन लोगों ने साजिश कर उनके पति को 8 साल जेल में रखवाया,अब उनकी बारी है. आज से ही उनकी उल्टी गिनती शुरू हो रही है. इस चर्चित हत्याकांड में बरी होने के बाद बुधवार को झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह, सिंह मेंशन पहुंचे.
सिंह मेन्शन में जश्न का माहौल
वहां जश्न का माहौल था. सिंह मेंशन में भारी भीड़ जुटी थी. समर्थक पटाखे फोड़ कर खुशियां मना रहे थे. ट्रायल कोर्ट ने बुधवार को संजीव सिंह सहित 10 को बरी कर दिया. संजीव सिंह के बरी होने के बाद समर्थकों का जोश हाई है. समर्थक यह कह रहे हैं कि संजीव सिंह को अब "राजनीतिक जीवन दान" मिल गया है. फिर से वह राजनीतिक पारी शुरू कर सकते है. 2014 के विधानसभा चुनाव में संजीव सिंह झरिया से विधायक चुने गए थे. विधायक रहते ही 2017 में वह जेल गए थे.
2019 में चुनाव हार गई थी रागनी सिंह
संजीव सिंह को जेल जाने की वजह से उनकी पत्नी रागिनी सिंह 2019 में झरिया से चुनाव लड़ी. लेकिन वह पूर्णिमा नीरज सिंह के हाथों हार गई, फिर 2024 के चुनाव में रागिनी सिंह झरिया विधानसभा से विधायक चुनी गई. संजीव सिंह को यदि 2 साल की भी सजा हो जाती , तो राजनीतिक कैरियर उनका अंधकार में हो सकता था. लेकिन अब बरी हो गए है. इसलिए अब वह राजनीति में स्वास्थ्य में सुधार के बाद खुलकर कदम बढ़ा सकते है. सिंह मेंशन के लिए कोर्ट का फैसला कितना महत्वपूर्ण था, यह बुधवार को धनबाद की सड़कों पर दिखा. सिंह मेंशन समर्थकों ने जमकर खुशियां मनाई. पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी. संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह और माता कुंती सिंह सहित बहन और भाई काफी खुश थे.
राजनीतिक संकटों से घिरता रहा है सिंह मेन्शन
यह अलग बात है कि समय-समय पर कई घटनाओं की वजह से सिंह मेंशन राजनीतिक संकट में घिरता दिखा. 2014 में माता कुंती सिंह को स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से संन्यास लेना पड़ा था. 2014 में संजीव सिंह झरिया से चुनाव लड़े और वह विधायक चुने गए थे. लेकिन उसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा. इसके बाद फिर सिंह मेंशन में राजनीतिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई. पति के जेल जाने के बाद रागिनी सिंह सिंह मेन्शन की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए घर से निकली. पहला चुनाव तो वह हार गई, लेकिन वह "झरिया" और झरिया के लोगों से जुड़ी रही. सिंह मेंशन की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए लगातार संघर्ष करती रही. उनकी मेहनत 2024 में रंग लाई और वह विधायक चुन ली गई.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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