पटना ( PATNA) - महामारी कोरोना में हम सभी क्वरेन्टीन (एकांतवास ) शब्द से वाकिफ हो चुके हैं. क्वारेंटिन शब्द का ज्यादा इस्तेमाल हम सभी कोरोना काल में ही किये है.वैसे अभी तक आपने सुना होगा की कोवीड संक्रमित को हीं क्वारेंटिन किया जाता है. लेकिन हम यहां बात करने जा रहे हैं कुछ अलग.बिहार का एक हिस्सा बाढ से प्रभावित है.बाढ के पानी से विषैले अजगर,करैत,रसेल वाईपर बाहर निकलकर आते हैं.जहरीले सांप इन दिनों गंगा के किनारे भी निकल रहे हैं. आबादी वाले क्षेत्रों में भी इन दिनों सांप लगातार निकल रहे हैं.सघन क्षेत्रों में सांप निकलने पर लोगों के द्वारा मार दिया जाता है. सांपों को अधमरा करके छोड दिया जाता है.ऐसे में रेस्क्यू टीम के द्वारा साँपों को रेस्क्यू कराया जाता है.इन दिनों पटना ज़ू में 40 साँपों को रेस्क्यू कर के लाया गया है. इन सभी विषैले साँपों को 60 दिनों के लिए क्वेरेन्टीन किया गया है.बता दें कि पटना ज़ू में पहले से 50 विषैले सांप रखे गए हैं. नए साँपों को उनसे अलग रखा गया है.सभी नए साँपों को खाने में चिकेन दिया जा रहा है.जल्द से साँपों को स्वस्थ किया जा सके.आबादी वाले क्षेत्रों में साँपों की एंट्री पर लोग अपने बचाव के लिए साँपों को अधमरा कर देते हैं.रेस्क्यू टीम के द्वारा सांपों को ज़ू में अधमरा और चोटिल अवस्था में पहुंचाया जाता है.फ़िलहाल सभी नए साँपों को 60 दिनों के बाद पुराने साँपों के साथ ज़ू में रखा जायेगा.
रिपोर्ट : रंजना कुमारी,रांची
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