धनबाद(DHANBAD): तो क्या बिहार चुनाव को लेकर एनडीए में सीट बंटवारे का एक सर्वमान्य फार्मूला तय हो गया है? अधिकृत तौर पर तो कोई कुछ नहीं कह रहा, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि फार्मूला लगभग तय हो गया है.  बिहार विधानसभा में कुल 243 सीट है. भाजपा के एक  सूत्र के अनुसार जदयू और भाजपा करीब -करीब बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकते है.  जदयू को 102 सीट मिल सकती है, तो भाजपा को भी 101 या 102 सीट  देने पर सहमति  बन सकती है.  चिराग पासवान की लोजपा  को 25 से 28 सीट  मिल सकती है.  जीतन  राम मांझी की पार्टी को 6 से 7 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 4 से 5 सीट  देने का फार्मूला लगभग फाइनल हो गया है.  

जदयू -भाजपा बराबर -बराबर सीटों पर लड़ सकते है चुनाव 

हालांकि सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि जदयू और भाजपा को बराबर- बराबर सीट  मिलने की उम्मीद है.  चिराग पासवान की लोजपा  को जदयू, भाजपा के बाद सर्वाधिक सीट  मिल सकती है.  चिराग पासवान की  लोजपा  के बिहार में पांच सांसद भी है.  सूत्र बताते हैं कि नए फार्मूले से सभी सहयोगी दलों को साधने की कोशिश की गई है.  अगर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की चर्चा की जाए, तो उस समय एनडीए में जदयू, बीजेपी, हम और मुकेश साहनी की  पार्टी शामिल थी.  तब बीजेपी 110, जदयू 115, हम सात  और साहनी  की पार्टी 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.  भाजपा को 74 सीटों पर जीत मिली थी.  

2020 में जदयू 43 सीटों पर सिमट कर रह गया था 

जदयू 43 सीटों पर सिमट गया था.  हम को चार और वीआईपी को भी चार पर जीत  मिली थी.  2020 में चिराग पासवान की लोजपा अकेले चुनाव लड़ी थी.  वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने थर्ड फ्रंट बनाया था.  जिसमें बसपा और ओवैसी की पार्टी शामिल थी.  जिसमें कुशवाहा की पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती थी.  लोजपा (आर) को एक सीट मिली थी.  वहीं ओवैसी की पार्टी ने 20 सीटों पर लड़कर  5 सीट  जीती थी.  खैर, जो भी हो लेकिन चुनाव के पहले बिहार का रंग बदल भी रहा है और चढ़ भी रहा है.  नेताओं का दौरा जारी है.  महागठबंधन भी ताकत झोंके  हुए हैं, तो एनडीए घटक दलों के साथ एक समझौता बनाने के लिए सक्रिय हो गया है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो