रांची (RANCHI): राज्य के 25 साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में आज हमारा राज्य से कहां तक कहाँ पहुँच चुका है. शिक्षा, रोजगार और तो और स्वास्थ्य की स्थितियों में भी हमारे राज्य ने नई उच्चाईयों को छुआ है. अब उदाहरण के लिए रांची के सदर अस्पताल की ही बात ले लीजिए. यह अस्पताल अब सिर्फ सामान्य इलाज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अपने शानदार प्रदर्शन और लगातार सुधार की वजह से अब झारखंड के प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों में शुमार हो गया है. सीमित संसाधनों के बावजूद इस अस्पताल ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसने रिम्स जैसे बड़े संस्थानों को भी पीछे छोड़ दिया है. और तो और अब सदर अस्पताल को उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए रोल मॉडल के रूप में भी देखा जा रहा है.

हाल ही में रांची सदर अस्पताल में पहली बार एक बेहद जटिल ब्रेन और स्पाइन (क्रानिओसेर्विकल जंक्शन) सर्जरी सफलतापूर्वक की गई. ऑपरेशन के दौरान फोरामेन मैग्नम डिकम्प्रेशन प्रक्रिया अपनाई गई, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के जोड़ पर बना दबाव सफलतापूर्वक हटा दिया गया. यह सर्जरी पूरी तरह सफल रही और मरीज अब स्वस्थ होकर चल-फिर पा रहा है.

वहीं बीते दिनों सदर अस्पताल ने एक और उपलब्धि हासिल की है, जहां सदर अस्पताल रांची में पहली बार Diagnostic Bronchoscopy की गई है. दरअसल बीमारी की जांच के लिए ब्रोंकोस्कॉपी करके फेफड़े एवं स्वांस नली के अंदर से बलगम (BAL-Broncho alveolar Lavage) और पानी निकाला गया था, जिसके द्वारा बीमारी की और सटीक जानकारी मिल सकी और मरीज का सही इलाज हो सका. संभवत यह झारखंड के किसी भी सरकारी अस्पताल में पहली बार किया गया है.

रांची सदर अस्पताल ने हाल के वर्षों में अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर भी बनाई है. आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत मरीजों को सर्वाधिक लाभ दिलाने में यह अस्पताल पूरे देश में पहले स्थान पर रहा है. इस सफलता ने अस्पताल की आमदनी बढ़ाई है और स्टाफ से लेकर डॉक्टर तक सभी को प्रोत्साहन राशि के रूप में इसका लाभ मिला है.

आज सदर अस्पताल में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और पीडियाट्रिक सर्जरी जैसे सुपर स्पेशलिटी विभाग शुरू हो चुके हैं. रांची में रिम्स के बाद यह दूसरा अस्पताल है जहाँ इतनी व्यापक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं.

सदर अस्पताल ने यह साबित किया है कि अगर इच्छाशक्ति और समर्पण हो, तो सीमित संसाधनों में भी उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं दी जा सकती हैं. आने वाले समय में यह न केवल झारखंड, बल्कि देशभर के सरकारी अस्पतालों के लिए प्रेरणा का केंद्र बन सकता है.